Raksha Bandhan 2022: आज है रक्षाबंधन का त्योहार, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल

Raksha Bandhan 2022: आज रक्षाबंधन है. रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए उन्हें रक्षा सूत्र बांधती हैं. वहीं इस दिन पूर्णिमा भी होती है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 12, 2022, 06:39 AM IST
  • भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं बहनें
  • भावनाओं-संवेदनाओं का पर्व है रक्षाबंधन
Raksha Bandhan 2022: आज है रक्षाबंधन का त्योहार, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल

नई दिल्लीः Raksha Bandhan 2022: आज रक्षाबंधन है. रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए उन्हें रक्षा सूत्र बांधती हैं. वहीं इस दिन पूर्णिमा भी होती है.

भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं बहनें
बहन इस दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और बदले में भाई अपनी बहन की सदैव रक्षा करने का वचन देता है. ये सब हम जानते हैं और इस त्योहार को कुछ इसी तरह हर साल मनाते हैं.

रक्षाबंधन के दिन सावन का महीना खत्म होता है. इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार सावन पूर्णिमा 11 अगस्त, गुरुवार को सुबह 10.30 बजे से शुरू होकर इसका समापन 12 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 7.05 बजे होगा. हालांकि रक्षाबंधन का त्योहार आज दिनभर मनाया जाएगा.

भावनाओं-संवेदनाओं का पर्व है रक्षाबंधन
यह पर्व भाई -बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है. भारतीय परंपराओं का यह एक ऐसा पर्व है, जो केवल भाई बहन के स्नेह के साथ-साथ हर सामाजिक संबंध को मजबूत करता है. इसलिए यह पर्व भाई-बहन को आपस में जोड़ने के साथ-साथ सांस्कृतिक, सामाजिक महत्व भी रखता है. रक्षाबंधन का पर्व विशेष रूप से भावनाओं और संवेदनाओं का पर्व है.

आज का पंचांग
श्रावण - शुक्ल पक्ष - पूर्णिमा - शुक्रवार
नक्षत्र - घनिष्ठा नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग - सौभाग्य योग
चन्द्रमा का मकर के उपरांत 14:51 पर कुंभ राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - 12.32 बजे से 12.57 बजे तक
राहु काल - 10.55 बजे से 12.31 बजे तक

त्योहार - रक्षाबंधन, श्रावणी पूर्णिमा, गायत्री जयंती, संस्कृत दिवस, श्री अमरनाथ दर्शन

गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
सावन का पूर्णिमा है तो आज नदी किनारे बालू के नौ पिंड बनाकर उन सभी के सामने एक-एक घी का दीपक जलायें और वहां पर एक मिठाई, थोड़ा सा चावल और उन सभी के समक्ष एक-एक लाल फूल अवश्य रखें. घी का दीपक पूरी तरह जल जाने के बाद उन सभी पिंडों को पानी में प्रवाहित कर दें.

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