Shivling Parikrama Rules सोमवर का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. सोमवार के दिन व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. सोमवार के् दिन कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं, तो विवाहित महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती से शांतिपूर्ण पारिवारिक जीवन की कामना करती हैं.
ऐसा कहा जाता है कि सोमवार व्रत का पालन करने वाले को दुनिया के सभी सुख मिलते हैं और अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा ने अपना चंद्रत्व प्राप्त करने के लिए सोमवार को इस व्रत का पालन किया था. इसके अलावां ऋषि वशिष्ठ ने भी इस व्रत का पालन किया था.
सोमवार व्रत के नियम
सोमवर का व्रत सूर्योदय से शुरू होता है.
इस व्रत का पालन करने वाले को भोर में उठकर स्नान करने के बाद सफेद रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए.
इसके बाद शिवलिंग का पंचामृतम से अभिषेक करें.
भक्त भगवान शिव को भस्म (विभूति) और बेल पत्र चढ़ाएं.
शिवलिंग पर सफेद फूल चढ़ाने का भी महत्व है.
शाम को सोमवर व्रत कथा, व्रत कहानी सूनें.
भक्त दिन भर 'ओम नमः शिवाय' का जाप कर सकते हैं.
सोमवार व्रत के दिन पूर्ण उपवास यानआंशिक उपवास रखा जा सकता है.
भूलकर भी न करें ये काम
सोमवार या किसी भी अन्य दिन भूलकर भी शिवलिंग पर रोली व सिंदूर का तिलक नहीं लगाना चाहिए. इसके अलावां कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए. जल बहने वाली जगह पर रुक जाएं और वापस परिक्रमा लगाएं. शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं तरफ करनी चाहिएं.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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