यूपी में एक ऐसा गांव है, जहां मस्जिद से लोगों को रोजगार का ऐलान किया जाता है. वह अनोखा गांव अमरोहा में है.
अमरोहा के मोहरका पट्टी गांव में मस्जिद से रोजगार का ऐलान होता है. यहां बिना किसी समूह के एकजुटता के साथ काम होता है.
यहां स्पेशल ट्रेनिंग के बिना ही पीढ़ी दर पीढ़ी हुनर आगे बढ़ रहा है. घर-घर नारी सशक्तीकरण का नारा बुलंद हो रहा है.
गांव में प्रवेश करते ही हर आंगन और चबूतरे पर महिलाएं साड़ी पर लगने वाली मोती की लेस बनाती दिखती हैं. मस्जिद में दिल्ली के कारोबारी आते हैं.
मस्जिद से ही महिलाओं को आर्डर दिए जाते हैं.10 साल पहले तीन-चार घरों में काम शुरू हुआ था, अब करीब पांच सौ से ज्यादा घरों में काम किया जा रहा है.
गजरौला से 8km दूर करीब 15 हजार आबादी वाला मोहरका गांव एक दशक पहले गोकुशी और अन्य अपराध के लिए मशहूर था, अब महिलाओं का हुनर ही इसकी पहचान है.
गांव के अधिकांश घरों में महिलाएं लेस तैयार करने का काम करती हैं. ग्रामीणों की मानें तो दो-तीन महिलाओं ने किसी तरह सीखकर लैस बनाने का काम शुरू किया था.
ग्रामीणों की मानें तो जिन दो-तीन महिलाओं ने काम शुरू किया था, उन्हें ही देखकर बाकी की महिलाओं में भी रोजगार को लेकर जागरूकता आई.
आज कहा जा सकता है कि इन महिलाओं ने बिना सरकारी मदद के अपराध के लिए बदनाम इस गांव को अपने हुनर के दम पर नई पहचान दिलाई है.
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