Gyanvapi Case: ज्ञानवापी ASI सर्वे होगा या रुकेगा, हाईकोर्ट में सुनवाई जारी, मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी
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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी ASI सर्वे होगा या रुकेगा, हाईकोर्ट में सुनवाई जारी, मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी

Gyanvapi Survey Case: वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा सर्वेक्षण मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट आज सुनवाई कर रहा है...इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने मंगलवार को इलाहाबाद High Court में याचिका दायर कर 21 जुलाई के वाराणसी की जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी है...

 

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी ASI सर्वे होगा या रुकेगा, हाईकोर्ट में सुनवाई जारी, मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी

Gyanvapi Survey Case: वाराणसी (Varanasi) में ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा सर्वेक्षण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट आज यानी बुधवार, 26 जुलाई को अगली सुनवाई जारी है. मुस्लिम पक्ष और वक्फ बोर्ड के वकीलों की बहस पूरी हो गई है. अब मंदिर पक्ष के वकील रखेंगे अपना पक्ष. सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने अपील की है. ज्ञानवापी मामला मुस्लिम पक्ष के आग्रह पर चीफ जस्टिस इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High court) में मंगलवार को सुनवाई हुई. पहले मामले की सुनवाई जस्टिस जयंत की कोर्ट में होनी थी मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस ने खुद अपनी बेंच में सुनवाई शुरू की . इस दौरान हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष मौजूद रहेंगे. इस बात की पूरी उम्मीद है कि आज ही हाईकोर्ट अपना फैसला सुना देगा.  सुप्रीम कोर्ट ने ASI सर्वे पर शाम 5 बजे तक की रोक लगाई है. 

ज्ञानवापी मामला-आदेश में संशोधन की मांग
मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील ने SC के सोमवार को दिए आदेश में संशोधन की मांग की है. वकील ने कहा कि इस आदेश में ये भी लिख दिया गया है कि हिंदू पक्ष की याचिका की मेंटनबिलिटी (उनका केस सुनवाई लायक है या नहीं) पर मुस्लिम पक्ष की याचिका अभी पेंडिंग है, लेकिन भूल से SC के उस आदेश में लिख दिया गया है कि मेंटनबिलिटी पर मुस्लिम पक्ष की याचिका का निपटारा कर दिया गया है.

 CJI ने कहा -SG तुषार मेहता को आने दीजिए, हम उनसे बात करेंगे. SG तुषार मेहता ने कहा कि उस दिन SC ने मुस्लिम पक्ष की जिस मांग का निपटारा किया, वो सर्वे पर रोक की मांग थी. इस केस से जुड़ी मुस्लिम पक्ष की मूल याचिका अभी SC में पेंडिंग ही है. चीफ जस्टिस ने आदेश में संसोधन को मंजूरी दी. आदेश का वो हिस्सा हटा दिया जाएगा जिसमे मुस्लिम पक्ष की मूल याचिका के भी निपटारे की बात कहीं गई थी.  मुस्लिम पत्र की तरफ से बहस पूरी हो गई.

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर चुनौती
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर 21 जुलाई के वाराणसी के जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी है.  
जिला अदालत ने एएसआई को मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. मस्जिद कमेटी के वकील एसएफए नकवी ने मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर की अदालत में इस मामले में जल्द सुनवाई करने की यह कहते हुए प्रार्थना की कि उच्चतम न्यायालय का 24 जुलाई का आदेश बुधवार शाम पांच बजे तक ही प्रभावी है.  उच्चतम न्यायालय ने मस्जिद कमेटी को उच्च न्यायालय जाने के लिए कुछ मोहलत दी थी.
 
नकवी के अनुरोध पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यदि दोनों पक्षों को कोई आपत्ति ना हो तो वह स्वयं इस मामले की सुनवाई कर सकते हैं.  इस पर दोनों पक्षों के वकील सहमत हो गए और अदालत ने इस मामले की सुनवाई शुरू की.  याचिकाकर्ता के वकील ने विभिन्न आधार पर 21 जुलाई का आदेश रद्द करने का अदालत से अनुरोध किया.  उनकी दलील थी कि जिला अदालत ने जल्दबाजी में एएसआई को सर्वेक्षण करने का आदेश दिया और चार अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा. निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को इस आदेश को चुनौती देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया. नकवी ने कहा कि 16 मई को एक आवेदन किया गया था जिस पर याचिकाकर्ता द्वारा 22 मई को आपत्ति दर्ज कराई गई और अदालत ने 21 जुलाई को ASI को इस वाद में पक्षकार बनाए बगैर सर्वेक्षण का आदेश जारी कर दिया.

आदेश वास्तव में बहुत प्रारंभिक चरण पर
उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण का इस तरह का आदेश वास्तव में बहुत प्रारंभिक चरण पर है क्योंकि ना ही मुद्दे तय किए गए और ना ही पक्षकारों को अपने साक्ष्य पेश करने के लिए बुलाया गया.  इस तरह से, एएसआई सर्वेक्षण का यह आवेदन अपने आप में अपरिपक्व है. नकवी ने यह दलील भी दी कि सर्वेक्षण के दौरान यदि खुदाई की जाती है तो इससे विवादित संपत्ति (मस्जिद) को क्षति होगी.

वहीं दूसरी ओर, प्रतिवादी पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि राम मंदिर मामले में एएसआई द्वारा सर्वेक्षण किया गया और इसे उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकार किया गया. इसलिए, निचली अदालत द्वारा पारित आदेश सही है.  इस मामले में वादी ने ज्ञानवापी मस्जिद स्थल पर काशी विश्वनाथ मंदिर बहाल करने की मांग करते हुए वाराणसी की अदालत में याचिका दायर की थी.

वैज्ञानिक सर्वेक्षण से साबित करने में मिलेगी मदद
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी थी कि संपूर्ण मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण से यह साबित करने में मदद मिलेगी कि मस्जिद स्थल पर मंदिर था. वादी के वकील ने यह दलील भी दी था कि इस सर्वेक्षण से अदालत को मंदिर के अस्तित्व के संबंध में संग्रह की गई सामग्री और एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने में भी मदद मिलेगी.

वाराणसी की अदालत में दायर एक अन्य याचिका की पोषणीयता को चुनौती देने वाली याचिका पर इलाहाबाद High court ने 28 अगस्त, 2023 तक के लिए अपना निर्णय मंगलवार को सुरक्षित रख लिया. उप्र सुन्नी सेंट्रल बोर्ड और अन्य द्वारा दायर इस याचिका पर न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने यह निर्णय सुरक्षित रखा.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
जिस समय (सोमवार) वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे चल ही रहा था, इधर दिल्ली में सर्वे को चैलेंज करती मुस्लिम पक्ष की याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुकी थी. उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर 26 जुलाई शाम पांच बजे तक रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट  ने कहा, “हम याचिकाकर्ताओं को संविधान के अनुच्छेद-227 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए और उचित सुनवाई के लिए वाराणसी के विद्वान जिला न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने के वास्ते उच्च न्यायालय का रुख करने की अनुमति देते हैं।” 

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