Jaunpur News: पूर्वाचल में आस्था का प्रमुख पर्व छठ पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं. तीन दिनों तक चलने वाले इस व्रत में विशेष खानपान और निर्जल व्रत का पालन किया जाता है. इस वर्ष यह 5 नवंबर से लेकर 7 नवंबर तक मनाया जाएगा. आइए जानते हैं इसके महत्व और पूजा विधि के बारे में
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Jaunpur News/अजीत सिंह: पूर्वाचल में आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माने जाने वाला पर्व डाला छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस पर्व के दौरान महिलाएं तीन दिनों तक व्रत रखती हैं और भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के कल्याण की कामना करती हैं. व्रत के पहले दिन 'नहाए-खाय' की परंपरा का पालन किया जाता है. जिसमें महिलाएं पवित्र स्नान कर भोजन ग्रहण करती हैं. इसके बाद वे व्रत धारण करती हैं.
पूजा में उपयोग होने वाली वस्तुएं
छठ पूजा के लिए बाजारों में भी विशेष तैयारी देखने को मिल रही है. महिलाएं पूजा में उपयोग होने वाले सूप, दौरी, फल और मिष्ठान की खरीदारी कर रही हैं. इस पर्व में चना दाल, लौकी, चावल, और नए गुड़ से बने व्यंजन शामिल होते हैं, जो व्रत के दौरान पारंपरिक रूप से खाए जाते हैं.
परिवार के सुख-समृद्धि की कामना
तीन दिन के इस व्रत में पहले दिन 'नहाए-खाय' की विधि से शुरुआत होती है, दूसरे दिन गुड़ का चावल और पराठा ग्रहण किया जाता है, और तीसरे दिन निर्जल व्रत का पालन होता है. अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है. महिलाओं का कहना है कि यह व्रत परिवार की सलामती और बच्चों की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. व्रत की समाप्ति भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर होती है और इसे करने से परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
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