खुद को पुरुष मानती है यूपी पुलिस की ये महिला सिपाही, हाईकोर्ट तक पहुंची लड़ाई में मिली जीत
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खुद को पुरुष मानती है यूपी पुलिस की ये महिला सिपाही, हाईकोर्ट तक पहुंची लड़ाई में मिली जीत

Allahabad High Court: महिला सिपाही को जेंडर चेंज करवाने संबंधी अनुमति लेने के लिए कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा...उसने एक आवेदन देकर अपनी समस्या के बारे में बताया था...महिला सिपाही का नाम नेहा सिंह है और उसे जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर की समस्या थी... अब  इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने महिला पुलिस कांस्टेबल की अर्जी पर यूपी के डीजीपी को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है...

खुद को पुरुष मानती है यूपी पुलिस की ये महिला सिपाही, हाईकोर्ट तक पहुंची लड़ाई में मिली जीत

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की पुलिस की महिला सिपाही नेहा सिंह (Neha Singh) की लिंग परिवर्तन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि चेंडर चेंज करवाना संवैधानिक अधिकार है.  कोर्ट ने महिला सिपाही की अर्जी पर यूपी के डीजीपी (DGP) को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. दरअसल, सिपाही नेहा सिंह ने अपनी याचिका में बताया हे कि वह जेंडर डिस्‍फोरिया (gender dysphoria) से पीड़ित है. वह खुद को एक पुरुष के रूप में पहचानती हैं. इसलिए वह लिंग परिवर्तन की सर्जरी करवाना चाहती है. बता दें कि जज अजीत कुमार की सिंगल बेंच ने यूपी पुलिस की महिला सिपाही नेहा सिंह की अर्जी पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है.

21 सितंबर को होगी फिर से सुनवाई
महिला सिपाही की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब दाखिल करने को भी कहा है. इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है.कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 21 सितंबर को करेगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा…
महिला सिपाही नेहा सिंह की अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट (High Court) के जस्टिस ने कहा कि कभी-कभी यह परेशानी बेहद खतरनाक साबित हो सकती है. आधुनिक समाज में पहचान बदलने के अधिकार से वंचित किया जाना लिंग पहचान विकार सिंड्रोम कहलाएगा. ऐसा इंसान विकार, चिंता, अवसाद, निगेटिव इमेज और किसी की यौन Physical रचना के प्रति नापसंदगी से ग्रसित हो सकता है.  महिला कॉन्‍स्‍टेबल नेहा सिंह की तरफ से कोर्ट में जेंडर डिस्फोरिया पीड़ित होने का हवाला दिया गया था.  महिला सिपाही ने याचिका में बताया था कि याची खुद को एक पुरुष के रूप में पहचानती है.  इसलिए सेक्स री असाइनमेंट सर्जरी कराना चाहती है. महिला कांस्टेबल ने लिंग डिस्फोरिया का अनुभव होने का दावा करते हुए अदालत का रुख किया और पुरुष पहचान को पूरी तरह से अपनाने के लिए एसआरएस से गुजरना चाहता था. इसके लिए उन्‍होंने इस साल 11 मार्च को यूपी डीजीपी के कार्यालय में अर्जी दी थी.

SC कोर्ट के आदेश का दिया हवाला
कोर्ट ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी जिक्र किया. इस फैसले में लिंग पहचान को व्‍यक्ति की गरिमा का अभिन्‍न अंग माना गया है. जज ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 15 का भी हवाला दिया, जिसमें एसआरएस और हार्मोनल थेरेपी जैसी स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं. राजस्थान HC के एक हाल में लिए गए फैसले का भी संदर्भ दिया गया, जिसने एक शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षक को लिंग परिवर्तन सर्जरी के बाद सेवा रिकॉर्ड में अपना नाम और लिंग बदलने की परमीशन दी. इससे पहले याची नेहा सिंह के अधिवक्‍ता की ओर से राष्‍ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण भारत संघ और अन्‍य मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पेश किया गया. 

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