Kedarnath Dham: केदारनाथ जाने के लिए कोई कहेगा कि आप या तो हेलीकाप्टर से जाएं या घोड़े-खच्चर से या फिर आप या फिर पैदल केदारनाथ धाम जा सकते हैं.... लेकिन इसके इतर कुछ ऐसे जुनूनी लोग भी हैं जो अपने इरादे के बल पर सब बाधाओं को पार कर यहां पर पहुंच रहे हैं. ..
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हरेन्द्र नेगी/रूद्रप्रयाग: बाबा केदारनाथ का दर्शन करने के लिए हर भक्त बेताब रहता है. केदार के दर्शन करने जाने के लिए कई तरह के विकल्प मौजूद हैं. जब भी केदारनाथ जाने की सोचते हैं तो ये बात सामने जरूर आती है कि कैसे जाया जाए, रास्ता तो बहुत कठिन है. केदारनाथ जाने के लिए कोई कहेगा कि आप या तो हेलीकाप्टर से जाएं या घोड़े-खच्चर से या फिर आप या फिर पैदल केदारनाथ धाम जा सकते हैं. लेकिन इसके इतर कुछ ऐसे जुनूनी लोग भी हैं जो अपने इरादे के बल पर सब बाधाओं को पार कर यहां पर पहुंच रहे हैं. ऐसे ही महाराष्ट्र के कोल्हापुर के रहने वाले दो युवा हैं जो बाबा के दर पर पहुंचे हैं वो भी साइकिल से...
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साइकिल से पहुंचे केदारनाथ धाम
इसे शौक कहें या हौंसला या फिर एडवेंचर के शौकिन, ऐसे ही कुछ लोग केदारनाथ पहुंचे हैं. ऐसे ही धुन के पक्के दो युवक कोल्हापुर महाराष्ट्र से 21 दिन की साइकिल यात्रा करके केदारनाथ थाम पहुंचे हैं. इन युवाओं का कहना है कि साइकिल से केदार तक की यात्रा करने में उनको 21 दिन लगे. वो रास्ते में आने वाली परेशानियों के झेलते हुए वो बाबा के दर पर पहुंचे. भगवान के प्रति भक्ति ने उनको हौंसला दिया.
केदारनाथ से जुड़ी है आस्था
महाराष्ट्र के कोल्हापुर से आए ये भक्त सावन के महीने में बाबा को जलाभिषेक कर वापस लौट रहे हैं. जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि इससें भगवान के प्रति अटूट आस्था रखने वाले या क्रेज के साथ एडवेंचर के शौकिन लोग ही ऐसा कर सकते हैं. उनका मानना है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए इतनी दूर साइकिल से पहुंचना अपने आप में गौरवान्वित करने वाला है. इससे साफ होता है कि केदारनाथ के प्रति लोगों की कितनी आस्था जुड़ी हुई है.
कठिन है केदारनाथ की यात्रा
चारधामों में सबसे कठिन यात्रा भगवान केदारनाथ की मानी जाती है. सोनप्रयाग से केदारनाथ 22 किलोमीटर पैदल ट्रैक खड़ी चढ़ाई है. बाबा केदारनाथ की यात्रा और भी कठिन हो जाती है जब बरसात का सीजन होता है. चारों ओर कोहरा छाया रहता है और दिन रात बारिश होती रहती हैं. अकसर ही पहाडों से पत्थरों की बारिश होती रहती है और नदी नाले उफान पर होते हैं. यहां के रास्ते पूरी तरह से उबड-खाबड और छतिग्रस्त रहते हैं. चारों ओर पहाड़ियों से झरने निकलते रहते हैं. ऐसे में साइकिल से यात्रा करना अपने आप में रोमांच के साथ आस्था भी है. 40 दिन में 3 हजार 500 किलोमीटर की दरी तय करने के बाद बाबा के दरबार में पहुंचे.
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