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भगवान शिव ने केदारनाथ जाते समय इस गुफा में की थी साधना, उत्तराखंड के इन मंदिरों में आज भी होते हैं चमत्कार

Uttarakhand Famous Shiv Temples: सनातन धर्म में भगवान शंकर कैलाशपति को देवों का देव कहा जाता है. शिव कैलाश में रहने वाले माने गए हैं.  ऐसे में भगवान शिव का पहाड़ों से गहरा नाता रहा है.  वहीं आज हम आपको पहाड़ों में मौजूद उन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका धार्मिक शास्त्रों में उल्लेख किया गया है. प्रमुख मंदिरों में बता रहे हैं, जहां के संबंध में मान्यता है कि इन मंदिरों में आज भी चमत्कार होते हैं. सावन का महीना लगने वाला है. ऐसे में आप भी इन मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं. अगर आप जीवन में किसी भी परेशानी से गुजर रहे हैं तो भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर मनोकामना पूरी करा सकते हैं...आइए जानते हैं उत्तराखंड के पांच शिव मंदिर के बारे में जिनके बारे में जानकर आप यहां पर जाना जरूर चाहेंगे.

टपकेश्वर मंदिर, देहरादून

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टपकेश्वर मंदिर, देहरादून

टपकेश्वर मंदिर, देहरादून टपकेश्‍वर मंदिर एक लोकप्रिय गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. टपकेश्वर मंदिर में “टपक” एक हिन्दी शब्द है , जिसका मतलब है “बूंद-बूंद गिरना”. टपकेश्वर मंदिर एक प्राकर्तिक गुफा है , जिसके अन्दर एक शिवलिंग मौजूद है. ऐसा कहा जाता है कि गुफा के अन्दर विराजित शिवलिंग पर चट्टानों से लगातार पानी की बूंदे टपकती रहती है और पानी की बूंदें स्वाभाविक तरीके से शिवलिंग पर गिरती है.  जिस कारण इस मंदिर का नाम “टपकेश्वर मंदिर” पड़ा. मंदिर के कई रहस्य हैं और मंदिर के निर्माण के ऊपर भी कई तरह की बातें होती रहती हैं.  टपकेश्वर मंदिर देहरादून शहर के बस स्टैंड से 5.5 किमी दूर स्थित एक प्रवासी नदी के तट पर स्थित है.

 

नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश

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नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश

नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है. यह मंदिर समुन्द्रतल से1675 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है. नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन पवित्र मंदिर है, जो उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम (राम झुला या शिवानन्द झुला) से किलोमीटर की दूरी पर मणिकूट पर्वत की घाटी पर है. मणिकूट पर्वत की गोद में स्थित मधुमती (मणिभद्रा) व पंकजा (चन्द्रभद्रा) नदियों के ईशानमुखीसंगम स्थल पर स्थित नीलकंठ महादेव मन्दिर एक प्रसिद्ध धार्मिक केन्द्र है. मंदिर के बाहर नक्काशियो में समुंद्र मंथन की कथा बनाई गई है.

 

कोटेश्वर महादेव मंदिर, रुद्रप्रयाग

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कोटेश्वर महादेव मंदिर, रुद्रप्रयाग

कोटेश्वर महादेव मंदिर, रुद्रप्रयाग कोटेश्वर मंदिर हिन्दुओ का मशहूर मंदिर है.ये मंदिर रुद्रप्रयाग शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है.  कोटेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है.  चारधाम की यात्रा पर निकले ज्यादातर श्रद्धालु इस मंदिर को देखते हुए ही आगे बढते हैं. ये मंदिर गुफा के रूप में मौजूद है. यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है. कोटेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में किया गया था , इसके बाद 16वी और 17 वी शताब्दी में मंदिर का पुनः निर्माण किया गया था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने केदारनाथ जाते समय इस गुफा में साधना की थी और यह मूर्ति प्राकर्तिक रूप से निर्मित है.

 

श्री प्रकाशेश्वर महादेव, देहरादून

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श्री प्रकाशेश्वर महादेव, देहरादून

श्री प्रकाशेश्वर महादेव, देहरादून श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर हिंदू भगवान शिव का मंदिर है. ये मंदिर उत्तराखंड में देहरादून–मसूरी रोड पर स्थित है. इस मंदिर की काफी मान्यता है.  इस मंदिर में हिंदू त्यौहार शिवरात्रि और सावन के महीनों में भक्तों का तांता लगा रहता हैं. यह प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. इस शिव मंदिर में भगवान शिव का स्फटिक शिवलिंग है. हर रोज मंदिर को फूलों से सजाया जाता है. यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भक्त भगवान को कोई दान नहीं दे सकते.

 

जागेश्वर मंदिर, अलमोड़ा

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जागेश्वर मंदिर, अलमोड़ा

जागेश्वर मंदिर, अलमोड़ा जागेश्वर भगवान सदाशिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है.  कई तर्क मौजूद होने के बावजूद इसे ज्योतिलिंग का दर्जा आज तक नहीं दिया गया .  इसे “योगेश्वर” के नाम से भी जाना जाता है.  ऋगवेद में ‘नागेशं दारुकावने” के नाम से इसका उल्लेख मिलता है. महाभारत में भी इसका वर्णन है, इसी आधार पर कई भक्त इन्हें ज्योतिलिंग मानते हैं. मान्यता के अनुसार इस मंदिर के पास ही भगवान शिव के पदचिंह्न भी मौजूद हैं. धर्म शास्त्रों में  कहा जाता है यहीं से उन्होंने अपना दूसरा पैर कैलाश पर रखा था. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का कीलन खुद आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया बताया जाता है.