Weather update : दिसंबर में भी नहीं पड़ रही कड़ाके की ठंड, गेहूं की फसल को क्या होगा नुकसान- जानें मौसम विज्ञानियों की चेतावनी
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Weather update : दिसंबर में भी नहीं पड़ रही कड़ाके की ठंड, गेहूं की फसल को क्या होगा नुकसान- जानें मौसम विज्ञानियों की चेतावनी

Weather update : उत्तर भारत की बात करें तो उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान समेत ज्यादातर राज्यों में भी सर्दी तेज नहीं हुई है. कोल्ड वेव यानी शीत लहर के अभी कोई संकेत मौसम विभाग ने नहीं दिए हैं. 

 

 

wheat crop weather alert

weather update : कड़ाके की ठंड के इस मौसम में लोग बिना जैकेट के घूम रहे हैं. सुबह दोपहर कड़ी धूप हो रही है. उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत कई राज्यों में में ऐसा ही हाल देखा जा रहा है. जबकि दिसंबर मध्य आने तक ठंड तेज हो जाती थी और क्रिसमस के आसपास शीतलहर का प्रकोप भी शुरू हो जाता था. मौसम विभाग के अनुमान के हिसाब से अगले 10 दिनों में भी अधिकतम तापमान 22 से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच बने रहने की संभावना है. जबकि न्यूनतम तापमान 9 से 12 डिग्री के बीच रहेगा. ऐसे में फिलहाल शीतलहर के आसार नहीं दिख रहे हैं. इसका असर गेहूं की फसल (wheat crop) पर पड़ सकता है. 

सर्दी के मौसम में ये असामान्य गर्मी एक बार फिर रबी की फसल खासकर गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा सकती है.  भारत मौसम विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरके जेनामनि का कहना है कि 3-5 दिन से लगातार न्यूनतम तापमान बढ़ा है. जबकि अधिकतम तापमान में गिरावट नहीं देखी गई है. इस कारण दिन के तापमान में अधिकता देखने को मिल रही है.रात का तापमान पहले की अनुमानों के आसपास है.

क्रिसमस के दौरान कोल्ड वेव पड़ने की संभावना है,लेकिन अभी मौसम खुशनुमा बना रहेगा. ऐसा नहीं है कि ठंड नहीं पड़ेगी, लेकिन उसकी अवधि में 8-10 दिन का अंतराल देखने को मिल सकता है. मौसमी बदलावों पर नजर बनाए रखेंगे, इसका फसलों पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसके बारे में कृषि वैज्ञानिक बेहतर बता सकते हैं. 

साइंस कम्युनिकेटर डॉ सुशील द्विवेदी का कहना है कि मौसम का गर्म बने रहना गेहूं की फसल के लिए अच्छे संकेत नहीं है. पिछले रबी सीजन में भी समय से पहले तेज गर्मी पड़ने के कारण गेहूं के दाने छोटे रह गए थे. फसल पर बुरा प्रभाव पड़ा था. इसका असर हमें चारा संकट के तौर पर भी देखने को मिला था. यूक्रेन रूस युद्ध के बीच गेहूं आटे से महंगा मिल रहा है. 

वैसे वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (पश्चिमी विक्षोभ) ही हैं, जो उत्तर भारत में ठंड के आगमन का संकेत देती हैं. वो इस मौसम में बारिश और बर्फीले तूफान जैसे हालात बनाती हैं, जो मध्य सागर में बनकर यहां पहुंचती हैं. ये हवाएं जाती तो पश्चिमी भारत की ओर हैं लेकिन असली असर हिमालय और आसपास के इलाकों में पैदा करती हैं. इन्हीं की वजह से पहाड़ों के आसपास बर्फ गिरती है. लेकिन कुल मिलाकर ऐसे आसार लग रहे हैं कि  समूचे उत्तर भारत  उत्तराखंड, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा  उत्तर प्रदेश और दिल्ली में दिसंबर में कम सर्दी पड़ेगी.

सर्दी कम होने के तीन कारण हो सकते हैं. पहाड़ों पर कमजोर वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण ठंडी हवाएं उत्तर भारत तक नहीं आ पा रही हैं. यही गर्मी बढ़ने का कारण है. उत्तर भारत के आसमान  में कोहरा बनाने वाले बादल में नहीं बन रहे हैं. इन बादलों के अभाव में दिन के समय सूरज की सीधी गर्मी धरती तक पहुंच रही है.  अगले 5 से 7 दिनों तक मौसम में कोई बड़ा बदलाव आने की संभावना भी नहीं है. दिन और रात दोनों तापमान सामान्य से ऊपर रहेंगे.इस बार बंगाल की खाड़ी से पूर्वी हवाएं ज्यादा आ सकती हैं,जिससे तापमान बढ़ेगा, लेकिन इतनी नमी नहीं होगी जिससे बारिश हो जाए. 

वहीं, इस बार दक्षिण भारत में पारा ज्यादा गिरने की संभावना है. क्योंकि इस साल दक्षिण भारत के कई शहरों में बारिश की संभावना है. जिससे वहां सामान्य से ज्यादा सर्दी पड़ सकती है.

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