कोर्ट ने याची विधायक पल्लवी पटेल के खिलाफ लगे आरोप कि उसने नामांकन फॉर्म में गलत तथ्य का उल्लेख किया और आपराधिक केस को छिपाया, इसकी जांच का निर्देश दिया है, लेकिन कोर्ट ने कहा है कि जांच अधिकारी डिप्टी कमिश्नर से नीचे के रैंक का न हो.
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मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट से कौशांबी के सिराथू से समाजवादी पार्टी की विधायक पल्लवी पटेल को फौरी तौर पर बड़ी राहत मिली है. कोर्ट पल्लवी पटेल के खिलाफ जारी एसडीएम सिराथू की नोटिस को रद्द कर दिया है.कोर्ट ने याची विधायक पल्लवी पटेल के खिलाफ लगे आरोप कि उसने नामांकन फॉर्म में गलत तथ्य का उल्लेख किया और आपराधिक केस को छिपाया, इसकी जांच का निर्देश दिया है, लेकिन कोर्ट ने कहा है कि जांच अधिकारी डिप्टी कमिश्नर से नीचे के रैंक का न हो.जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस विक्रम डी चौहान की डिविजन बेंच ने याची विधायक पल्लवी पटेल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.
कोर्ट ने याची के खिलाफ दिलीप पटेल व अन्य द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग से की गई शिकायत और उस पर आयोग, जिला अधिकारी, व एसडीएम द्वारा की गई कार्रवाई को गलत माना है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि जांच अधिकारी जांच से पहले शिकायतकर्ता की शिकायत के सत्यता की भी जांच करेंगे. याची की तरफ से सीनियर एडवोकेट अनिल शर्मा व सरोज कुमार यादव तथा विपक्ष की तरफ से अधिवक्ता राकेश पांडेय ने बहस की थी.
क्या है मामला?
मालूम हो कि इसके पहले कोर्ट ने विपक्षी अधिवक्ताओं से पूछा था कि चुने गए जनप्रतिनिधि को कैसे नोटिस जारी कर दी गई और वह भी उप जिला मजिस्ट्रेट के जरिए. सिराथू की विधायक पल्लवी पटेल के निर्वाचन को लेकर हुई शिकायत के मामले में जारी नोटिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर तीखी नाराजगी जाहिर की थी. कोर्ट ने कहा था कि एक चुने गए प्रतिनिधि के खिलाफ कैसे नोटिस जारी कर दी ? वह भी एक उप जिला मजिस्ट्रेट के जरिए. आयोग ने खुद क्यों जांच नहीं की ? वह उप जिला मजिस्ट्रेट से क्यों जांच करा रहा है. क्या आयोग का इरादा जनप्रतिनिधि का उत्पीड़न किए जाने का है ? कोर्ट ने निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता से पूछा था कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है. उसके पास चुनाव से जुड़े मामले की जांच करने के लिए खुद ही शक्ति है. वह कैसे उप जिला मजिस्ट्रेट को यह काम सौंप सकता है.
पल्लवी पटेल ने सियासी साजिस बताया था
आयोग की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि याची के खिलाफ आयोग के समक्ष यह शिकायत आई कि उन्होंने अपने नामांकन के दौरान हलफनामे में आपराधिक मामले की जानकारी छुपाई है. आयोग ने उस शिकायत का संज्ञान लेते हुए उप जिला मजिस्ट्रेट को जांच के आदेश दिए. उप जिला मजिस्ट्रेट ने याची से उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस जारी की है. इस पर कोर्ट ने तीखी नाराजगी जताई थी. वहीं सपा विधायक पल्लवी पटेल की ओर से तर्क दिया गया था कि याची के खिलाफ शिकायत एक सियासी साजिस के तहत की गई है. याची 2022 के विधानसभा चुनाव में यूपी सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हराकर चुनाव जीती है. इस वजह से उसके खिलाफ इस तरह की शिकायत कर उत्पीड़न किया जा रहा है.
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