दिल्ली में मिले आजम खान और शिवपाल सिंह यादव, क्या यूपी में बिछ रही है नई सियासी बिसात?
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दिल्ली में मिले आजम खान और शिवपाल सिंह यादव, क्या यूपी में बिछ रही है नई सियासी बिसात?

Uttar Pradesh Politics : उत्तर प्रदेश की राजनीति में नित नए सियासी दांव देखने को मिल रहे हैं. शिवपाल सिंह यादव और आजम खान के बीच दिल्ली के यूपी भवन में गोपनीय मुलाकात हुई है.

दिल्ली में मिले आजम खान और शिवपाल सिंह यादव, क्या यूपी में बिछ रही है नई सियासी बिसात?

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) और सपा के दिग्गज नेता आजम खान (Azam Khan) की दिल्ली में सोमवार को मुलाकात हुई. इस मुलाकात के सियासी मायने भी निकाले जा रही हैं, दिल्ली से लेकर लखनऊ तक सियासी गलियारों (UP Politics) में चर्चा है कि क्या यूपी में कोई नई सियासी बिसात बिछाने की तैयारी चल रही है. आज़म खान से मुलाक़ात के बाद  शिवपाल यादव सुबह दिल्ली से रवाना हुए. जबकि आज़म खान उसके बाद भी दिल्ली के यूपी भवन में रुके रहे. 

आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम भी थे मौजूद
खबरों के अनुसार, शिवपाल सिंह यादव रविवार को रात 8 बजे दिल्ली के यूपी भवन आए थे. जबकि आज़म खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म (Abdullah Azam) रविवार को ही रात 11 बजे यूपी सदन आए. इन तीनों के बीच यूपी भवन में मुलाक़ात काफी लंबी चली. इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक गहमागहमी इसलिए तेज हुई कि दोनों का दिल्ली का यह दौरा और बैठक पूरी तरह गोपनीय था.दिल्ली दौरे पर आए आजम-शिवपाल एक ही छत तले ठहरे, लेकिन किसी को भी इस भनक तक नहीं लगने दी, यह सवाल राजनीतिक शख्सियतों के मन में कौंध रहा है.

आजम खान से जेल में भी मिले थे शिवपाल
इससे पहले भी शिवपाल सीतापुर जेल आजम खान से मुलाकात करने पहुंचे थे. जबकि दो साल जेल में रहे आजम से मिलने की कोई जहमत पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नहीं उठाई. इसको लेकर शिवपाल और राजनीतिक विरोधियों ने उन पर हमला भी बोला था. आजम ने भी इशारों इशारों में अपना दर्द बयां किया था. उन्होंने कहा था कि उनकी इस हालत के जिम्मेदार उनके अपने ही हैं. रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की हार को लेकर भी अखिलेश निशाने पर रहे हैं.उनका आजमगढ़ और रामपुर सीट के लिए प्रचार करने ना जाना कई नेताओं को अखरा. इसे सपा का गढ़ माने जाने वाली इन सीटों पर साइकिल मंजिल तक नहीं पहुंच पाई.

चाचा-भतीजा के बीच शह-मात का खेल
उधर, चाचा-भतीजा के बीच यूपी विधानसभा चुनाव के पहले दूर हुआ मनमुटाव नतीजों के तुरंत बाद ही उभर आया. सपा ने जब अहम बैठकों में शिवपाल को नहीं बुलाया तो उन्होंने सवाल उठाए. शिवपाल द्वारा पीएम मोदी और अमित शाह जैसे बीजेपी नेताओं की शान में कसीदे काढ़ना सपा को नागवार गुजरा. शिवपाल ने हाल ही में यूपी के बड़े यादव नेताओं के साथ यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के मंच तले नया सियासी दांव खेला है. माना जा रहा है कि इसकी सीधी चोट सपा के यादव वोटबैंक पर होगी.  ऐसे में अगर आजम खां भी सपा से अलग होकर कोई नई पहल करते हैं तो सपा के एमवाई का पूरा समीकरण भी 2024 के लोकसभा चुनाव में बिखर सकता है.

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