Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज का महाकुंभ 2025 को ऐतिहासिक बनाने के लिए योगी सरकार कई कवायद कर रही है. बताया जा रहा है कि गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम तट पर आस्था के इस महाकुंभ में करोड़ों लोग डूबकी लगाएंगे.
Trending Photos
अजीत सिंह/लखनऊ : प्रयागराज का महाकुंभ 2025 को ऐतिहासिक बनाने के लिए योगी सरकार कई कवायद कर रही है. बताया जा रहा है कि गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम तट पर आस्था के इस महाकुंभ में करोड़ों लोग डूबकी लगाएंगे. योगी सरकार ने महाकुंभ 2025 को सुरक्षित और सुविधाजन बनाने के लिए लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये का बजट पहले ही तय कर दिया है. सिर्फ बिजली की व्यवस्था पर योगी सरकार लगभग 400 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है. यह बजट 2018-19 के कुंभ की तुलना में दोगुना है.
मिनट भर के लिए भी नहीं गुल होगी बिजली
2018-19 में सरकार ने 192 करोड़ रुपये खर्च किये थे, जबकि इस बार ये रकम 400 करोड़ के करीब है. पूरे महाकुंभ मेला क्षेत्र को दूधिया रोशनी से जगमग करने के लिए 67 हजार से भी अधिक स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएंगी. इनमें लगभग दो हजार सोलर हाईब्रिड स्ट्रीट लाइटें होंगी. इसके अलावा निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए योगी सरकार 109 डीजी सेट की भी व्यवस्था करेगी. इससे पूरे मेला क्षेत्र को 24 घंटे पावर सप्लाई की जाएगी. इसके अलावा 11 केवी के 15 रिंग मेन यूनिट भी लगाए जाएंगे, जिनसे अचानक पॉवर सप्लाई बाधित होने की दशा में तत्काल दूसरे स्रोत से बिजली को ऑटो चेंज करके प्राप्त किया जा सके. इन्हें हर 6 सब स्टेशन के बाद स्थापित किया जाएगा.
महाकुंभ के बाद माघ मेले में काम आएंगे सारे उपकरण
मेला क्षेत्र में बिजली सप्लाई में कोई अड़चन न आए इसके लिए मैन पॉवर और मॉर्डन डिवाइस के लिए योगी सरकार ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है. इनमें स्ट्रीट लाइट की रिपेयरिंग के लिए चार आधुनिक वैन लगाये जाएंगे. महाकुंभ मेला खत्म होने के बाद इन वैनों का उपयोग आगामी माघ मेलों और प्रयागराज शहर के स्ट्रीट लाइटों के लिए किया जाएगा. इसके अलावा चार मोबाइल हाईमास्ट जनरेटर भी लगाये जाएंगे. इनका उपयोग मेले के विद्युतिकरण से पहले मेला क्षेत्र में अलग-अलग कार्यस्थलों पर रोशनी देने के लिए किया जाएगा. महाकुंभ मेला खत्म होने के बाद इन मोबाइल हाईमास्ट जनरेटर का उपयोग आगामी माघ मेलों और प्रयागराज शहर के लिए किया जाएगा.
आईसीटी के जरिए तुरंत लग सकेगा फॉल्ट का पता
इतना ही नहीं मेले में लगे स्ट्रीट लाइट और तारों की देखरेख के लिए इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) की मदद ली जाएगी. लगभग डेढ़ लाख आईसीटी बेस्ड मॉनीटरिंग सिस्टम में क्यू आर कोडिंग और जीओ टैगिंग के जरिए बिजली आपूर्ति की मॉनीटरिंग की जाएगी. इससे फॉल्ट और करेंट लीकेज का तत्काल पता लगाकर उन्हें जल्द से जल्द ठीक करने में मदद मिलेगी. मेला क्षेत्र में पावर सप्लाई की मॉनीटरिंग के लिए पूरे इलाके की ऑटोकैड के जरिए प्रॉपर मैपिंग कराई जाएगी.
WATCH: वाराणसी में 32 साल में चौथी बार टूटी गंगा आरती की ये परंपरा, देखें वीडियो