Mainpuri by-election 2022: भारतीय जनता पार्टी भी प्रत्याशियों के नामों पर मंथन शुरू कर दिया है. सपा के किले को भेदने के लिए भाजपा तीन नामों पर मंथन कर रही है.
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Mainpuri By-Election 2022: मैनपुरी लोकसभा सीट पर 5 दिसंबर 2022 को होने वाले उपचुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं. समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव को यहां से उम्मीदवार घोषित किया है. भारतीय जनता पार्टी भी प्रत्याशियों के नामों पर मंथन शुरू कर दिया है. सपा के किले को भेदने के लिए भाजपा तीन नामों पर मंथन कर रही है. इसमें सबसे ऊपर प्रेम सिंह शाक्य का नाम चल रहा है. इनके अलावा रघुराज सिंह शाक्य और ममतेश शाक्य के नाम पर भी बीजेपी मंथन कर रही है.
मैनपुरी लोकसभा सीट को सपा का गढ़ माना जाता है. 6 चुनावों में यहां पर मुलायम परिवार का कब्जा रहा है. यहां से 5 बार खुद मुलायम सिंह यादव सांसद चुने गए. पिछले लोकसभा चुनाव में मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव ने 94,389 वोटों से चुनाव जीता था. उन्हें 53 फीसदी से ज्यादा वोट मिला था. माना जा रहा था कि इस चुनाव में सपा सरंक्षक की एक तरफा जीत होगी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार प्रेम सिंह शाक्य ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी. प्रेम सिंह शाक्य को 44.09 फीसद वोट मिले थे. हालही में मुलायम सिंह यादव का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था. उनके निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी. जिसपर पांच दिसंबर को चुनाव होने वाला है. इस बार भी प्रेम सिंह शाक्य का नाम सबसे ऊपर चल रहा है.
कौन हैं प्रेम सिंह शाक्य
जिले के किशनी क्षेत्र के गांव कुम्हौल निवासी प्रेमसिंह शाक्य भट्ठा संचालक हैं. उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है. भाजपा के जिला स्तरीय संगठन में उनके पास कभी कोई जिम्मेदारी नहीं रही है. हालांकि भाजपा ब्रज क्षेत्र में क्षेत्रीय मंत्री की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली है. 2014 के उपचुनाव में भाजपा ने उन्हें पहली बार प्रत्याशी बनाया था. उन्हें सपा प्रत्याशी तेजप्रताप यादव के सामने हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा का भरोसा प्रेम सिंह पर बना रहा, लेकिन प्रेम सिंह शाक्य को इस चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा.
मैनपुरी सीट का इतिहास
मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 1971 तक हुए 5 चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1977 में सत्ता विरोधी लहर में जनता पार्टी ने जीत हासिल की. अगले साल 1978 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने यह सीट वापस ले ली. इसके बाद 1980 में कांग्रेस हारी पर 1984 की लहर में फिर वापस आई. 1984 में कांग्रेस को यहां पर आखिरी बार जीत नसीब हुई थी. 1989 और 1991 में यहां लगातार जनता पार्टी ने जीत दर्ज की. 1992 में पार्टी गठन करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने यहां से 1996 का चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीता. उसके बाद 1998, 1999 में भी ये सीट समाजवादी पार्टी के पास ही रही. 2004 में मुलायम ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की, लेकिन बाद में सीट को छोड़ दिया. 2004 में धर्मेंद्र यादव यहां से उपचुनाव में जीते. 2009 के चुनाव में मुलायम यहां दोबारा लौटे और सीट को अपने पास ही रखा. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ और मैनपुर से चुनाव लड़े और दोनों ही जगहों पर जीते. उन्होंने आजमगढ़ की सीट को अपने पास रखा और अपने पोते तेजप्रताप सिंह यादव को यह सीट दे दी. पिछले लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की.
क्या है समीकरण?
मैनपुरी लोकसभा में करीब 16 लाख से अधिक वोटर हैं. इस सीट पर यादव वोटरों का वर्चस्व है, यहां करीब 4.25 लाख मतदाता यादव हैं. जबकि करीब 3.25लाख वोटर शाक्य हैं. 2.25 लाख क्षत्रिय मतदाता हैं. एक लाख से ज्यादा ब्राह्मण, जबकि एक लाख तीस हजार दलित मतदाता हैं. मुस्लमि मतदाताओं की बात करें तो उनकी संख्या यहां पर 55 हजार के आस-पास है. इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभाएं हैं. इनमें मैनपुरी, भोगांव, किषनी, करहल और जसवंतनगर है.