लंपी वायरस से संक्रमित गाय का दूध या मिठाई खतरनाक?, इनफेक्शन वाला दूध कैसे पहचानें, विशेषज्ञों ने बताए बचाव के उपाय
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लंपी वायरस से संक्रमित गाय का दूध या मिठाई खतरनाक?, इनफेक्शन वाला दूध कैसे पहचानें, विशेषज्ञों ने बताए बचाव के उपाय

लंपी वायरस से संक्रमित गाय का दूध (Cow Milk) पीने से क्या इंसान भी संक्रमित हो सकता है.

Lumpy Virus Skin Disease

Lumpi Skin Disease : लंपी वायरस से संक्रमित गाय का दूध (Cow Milk) पीने से क्या इंसान भी संक्रमित हो सकता है. क्या ऐसी संक्रमित गाय के दूध से बनी मिठाइयां (Cow Sweets) या अन्य दुग्ध उत्पाद जैसे मक्खन, पनीर या छाछ से वायरस (Lumpi Virus) मनुष्य के शरीर में प्रवेशकर उसे बीमार कर सकता है.इसको लेकर ऊहापोह की स्थिति है.लेकिन गाय का दूध लंपी वायरस से संक्रमित है या नहीं, ये कैसे पहचानें. अगर दूधवाला आपके घर दूध (Diary Products) देने आता है तो हमें कैसे पता लगेगा कि उसकी गाय संक्रमित हैं या नहीं. 

मेनका गांधी की सलाह
इसी बीच सुल्तानपुर से BJP सांसद और पशु कल्याण (Animal Welfare)से जुड़ीं मेनका गांधी (Maneka Gandhi) ने वीडियो जारी कर इस पर बड़ी सलाह दी है. मेनका गांधी ने ट्वीट कर कहा, वायरस से प्रभावित गाय का दूध ना पिएं, मिठाई ना खाएं. सांसद ने डेयरी संचालकों को भी हिदायत दी थी कि लंपी वायरस से संक्रमित गाय के दूध की बिक्री न करें. स्वास्थ्य सुरक्षा को देखते हुए सांसद मेनका गांधी ने इसका वीडियो जारी किया.

विशेषज्ञों ने किया आगाह
पीपल्स फॉर एनीमल (Peple For Animal) की ट्रस्टी अंबिका शुक्ला ने भी कहा कि यह सही है कि वायरस से संक्रमित दूध नुकसान पहुंचा सकता है, ये जानलेवा भले ही न हो, लेकिन यह शरीर में दूसरे प्रभाव डाल सकता है. हमारी किडनी(Kidney Liver), लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है. उनका कहना है कि जानवरों को ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) इंजेक्शन, एंटीबायोटिक (Antibiotic)  औऱ अन्य दवाओं का असर पहले ही हमारे शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस पैदा (Harmonal Imbalnce) कर रहा है. 

चिकित्सा विशेषज्ञों की अलग राय
पशु चिकित्सा विशेषज्ञों (veterinary specialist) का कहना है कि लंपी वायरस से संक्रमित गाय का कच्चा दूध पीना नुकसानदेह हो सकता है. संक्रमित दूध का कुछ खास रंग नहीं बदलता. ऐसे में ठीक से उबालकर या पॉश्चुराइजेशन के बाद मिलने वाले पैकेट दूध का ही सेवन करना ठीक है. दूध को उबालने से वायरस नष्ट हो जाता है. इसके बाद संक्रमित गाय का दूध ज्यादा हानिकारक नहीं रह जाता. मिठाइयां चूंकि दूध को उबालकर बने खोया से बनती हैं, ऐसे में बड़ा खतरा नहीं है. 

संक्रमित जानवरों को आइसोलेट करें
लंपी वायरस से संक्रमित गायों को अन्य जानवरों से अलग करना (Isolate) करना ठीक है, ताकि अन्य जानवरों को बचाया जा सके. अगर गाय दुधारू है तो उसके बछड़े को ऐसा दूध न पीने दें, इससे गोवंश (Cattle) में भी वायरस फैल सकता है. 

गोबर-गोमूत्र का ख्याल
गाय-भैंस पालने वालों, गोबर-गोमूत्र (cow dung-cow urine) के बीच काम करने वालों को भी बेहद साफ-सफाई से काम करना चाहिए, ताकि वायरस का संक्रमण न बढ़े. ऐसी संक्रमित गायों को जिला पशु चिकित्सालय (District Veterinary Hospital) 
या अन्य पशु रोग विशेषज्ञों के जरिये इलाज मुहैया कराएं. ताकि घाव जल्दी भर पाएं. 

दो दर्जन से ज्यादा जिलों में कहर
यूपी में दो दर्जन से ज्यादा जिलों में गायों में लंपी वायरस का कहर देखने को मिल रहा है, खासकर वेस्ट यूपी में. पश्चिमी उत्तर प्रदेश (West UP) के मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली जैसे गांवों में देखने को मिल रहा है. 30 हजार से ज्यादा गायें इसकी चपेट में आ चुकी हैं. सैकड़ों गाय इस कारण मर भी चुकी हैं. 

गाय को खिलाएं ये लड्डू
गाय अगर लंपी वायरस से संक्रमित हो जाए तो देसी उपाय भी कारगर साबित हो सकते हैं. पीपल फॉर एनीमल्स की सदस्या अनुष् का कहना है कि अगर गाय को सनाईपत्ती, काली मिर्च,  गुड़,  मुलैठी, मजीठा और आंवला से बना देसी लड्डू 6 दिनों तक खिलाया जाए तो एक हफ्ते में ही बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

टीका (Vaccination) भी आवश्यक
विशेषज्ञों का कहना है कि लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं के बीच मृत्यु दर 1-2 फीसदी होती है. गायों का टीकाकरण या वैक्सीनेशन ही इनफेक्शन फैलने से रोकना का बेहतर उपाय है. गायों की लार, मूत्र के जरिये अन्य पशु इसकी चपेट में आ सकते हैं. 

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