krishna janmashtami 2022: कहा जाता है कि जब भी धरती पर पाप और अधर्म बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है, तब भगवान धरती पर जन्म लेते हैं... भगवान विष्णु का एक अवतार श्रीकृष्ण को माना जाता है.... श्रीकृष्ण ने अपने जन्म से लेकर जीवन के अतिंम सफर तक कई चमत्कार दिखाए थे..
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Krishna Janmashtami 2022: देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की तैयारी हो रही है, लेकिन क्योंकि इस बार जन्माष्टमी दो दिन यानी कि 18 और 19 अगस्त को पड़ रही है. इसलिए लोगों में असमंजस है कि आखिर जन्माष्टमी किस दिन मनाई जाए. इसके अलावा लोगों के मन में जन्माष्टमी को लेकर और भी कई सवाल हैं. इस रिपोर्ट में हम आपको बताते हैं इस तरह के 5 अहम सवालों के जवाब जिन्हें इंटरनेट पर सबसे ज्यादा खोजा जा रहा है.
1-जन्माष्टमी के दिन क्या खाएं?
जन्माष्टमी व्रत रखने वालों को केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. लहसुन प्याज नहीं खाना चाहिए और मांस मदिरा तो बिल्कुल भी नहीं. अपने भोजन में दूध और दही को जरूर शामिल करें क्योंकि भगवान श्री कृष्ण को दूध और दही बहुत पसंद हैं.
2-क्या जन्माष्टमी पर व्रत रखते हैं?
हिंदू धर्म को मानने वाले ज्यादातर लोग कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हैं और मध्य रात्रि को भजन, पूजन के बाद व्रत खोलते हैं. हालंकि कुछ लोग व्रत नहीं रखते लेकिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं. (Scroll out)
3-जन्माष्टमी 2022 की सही तारीख क्या है?
पंचांग के अनुसार वर्ष 2022 में भगवान श्री कृष्ण का 5249वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है. क्योंकि इस बार भाद्रपद की अष्टमी तिथि दो
दिन पड़ रही है इसलिए जन्माष्टमी का पर्व 18 और 19 अगस्त दोनों दिन मनाया जा रहा है.
4-जन्माष्टमी 2022 की पूजा का सही समय क्या है?
भाद्रपद की अष्टमी तिथि 18 अगस्त की रात 09:20 बजे से शुरू होगी और 19 अगस्त 2022 को रात्रि 10:59 बजे समाप्त होगी. चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था इसलिए पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त 18 अगस्त की रात 12:03 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा.
5-घर पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा कैसे करें?
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है. रात 12 बजे भगवान के जन्म के बाद उनका दूध, दही, घी पंचामृत से अभिषेक करें. उनका सुंदर श्रृंगार करें. उन्हें माखन मिश्री, पंजीरी का भोग लगाएं. साथ ही पीला वस्त्र, तुलसी दल, फूल, फल आदि अर्पित करें. धूप-दीप दिखाएं. भगवान को पालने में झुलाएं. उनकी नजर जरूर उतारें साथ ही सपरिवार मिलकर 'नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' गाएं. आखिर में कान्हा का जिस पंचामृत से अभिषेक किया है उसका प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें.
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