Kanpur Metro: कानपुर मेट्रो दीपावली में देगी तोहफा, 15 मेट्रो स्टेशनों को जोड़ने वाली सुरंग भी तैयार
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Kanpur Metro: कानपुर मेट्रो दीपावली में देगी तोहफा, 15 मेट्रो स्टेशनों को जोड़ने वाली सुरंग भी तैयार

Kanpur Metro: कानपुर वालों के लिए अच्छी ख़बर है. दीपावली तक उन्हें मेट्रो में सफर करने का मौका मिल सकता है. अंडरग्राउंड रेलवे ट्रैक बिछाने का काम भी लगभग पूरा हो गया है.

Kanpur Metro: कानपुर मेट्रो दीपावली में देगी तोहफा, 15 मेट्रो स्टेशनों को जोड़ने वाली सुरंग भी तैयार

प्रभात अवस्थी/कानपुर: शहर में इन दिनों मेट्रो का काम बहुत तेजी से चल रहा है. बड़ा चौराहा से नयागंज मेट्रो स्टेशन के बीच लगभग 1260 मीटर लंबी सुरंग की अपलाइन और डाउन लाइन में रेल पटरी बिछाने का काम पूरा हो गया.  ट्रैक स्लैब की ढलाई का कार्य भी शुरू हो चुका है. ट्रैक निर्माण शुरू होने से अब चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन का काम एक फेज और आगे बढ़ गया है.

दो अगस्त से ट्रैक निर्माण के लिए रेल पटरियों को नीचे उतारने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड(यूपीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार के मुताबिक चुन्नीगंज-नयागंज अंडर ग्राउंड सेक्शन में ट्रैक निर्माण की शुरुआत अहम पड़ाव है. इस सेक्शन में नवीन मार्केट से बड़ा चौराहा के बीच टनल बनाने का काम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है.
क्या है मास स्प्रिंग सिस्टम 
मेट्रो अफसरों के मुताबिक मास स्प्रिंग सिस्टम का इस्तेमाल ट्रेन के चलने के दौरान पैदा हो रहे कंपन और शोर को अवशोषित करने के लिए किया जाता है. पॉलियूरिथेन नामक पदार्थ से बने इस स्प्रिंग सिस्टम को ऑस्ट्रिया से आयातित किया गया है. 

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फर्जी दस्तावेज से हड़प लिया प्लॉट
गोविंदनगर बी ब्लॉक निवासी सेवानिवृत शिक्षिका उर्मिला मिश्रा के मुताबिक उन्होंने 2013 में बूढ़पुर मछरिया में प्लॉट खरीदा था. दो जुलाई को उन्हें जानकारी हुई कि उनके प्लॉट कार ताला तोड़कर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया और गेट पर पेंट से योगेंद्र सिंह,दीपक सिंह, गोविंद सिंह व मोबाइल नंबर लिख दिया है. इसके बाद पता चला कि प्लॉट को बेचने के लिए हार्दिक सोनकर के नाम से फेसबुक पर विज्ञापन भी डाल दिया. नौबस्ता थाने में मुकदमा दर्ज कराया है.

एलिवेटेड मेट्रो ट्रैक की तरह ही अंडरग्राउंड मेट्रो के लिए भी बैलेस-लेस (गिट्टी-रहित) ट्रैक का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे ट्रैक में रखरखाव की कम से कम जरूरत पड़ती है. मेट्रो सेवाओं में 15-16 घंटों के लंबे ट्रेन संचालन के दौरान, ट्रेनों को बहुत कम स्पीड पर संचालित किया जाता है. बैलेंस-लेस ट्रैक ये सारी सुविधाएं प्रदान करता है, साथ ही इसकी लाइफ काफी ज्यादा होती है.

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