UP News: 'ऐ जिंदगी तूने मुझसे सबकुछ छीन लिया.प्लीज मुझे बख्श दो'...डायरी के चार पन्नो में लिखी आत्महत्या की दास्तान
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UP News: 'ऐ जिंदगी तूने मुझसे सबकुछ छीन लिया.प्लीज मुझे बख्श दो'...डायरी के चार पन्नो में लिखी आत्महत्या की दास्तान

गोरखपुर में एक खौफनाक सुसाइड ने सबको चौंका दिया है. जहां एक पिता और उसकी दो बेटियों के शव घर में फांसी के फंदे से लटकते मिले. मौके से एक डायरी भी मिली है, जिसमें मृतक मान्या ने ज़िंदगी की पूरी दास्तान को चार पन्नों में उकेर दिया है. 

UP News: 'ऐ जिंदगी तूने मुझसे सबकुछ छीन लिया.प्लीज मुझे बख्श दो'...डायरी के चार पन्नो में लिखी आत्महत्या की दास्तान

विनय सिंह/गोरखपुर: गोरखपुर में बीते मंगलवार को हुए खौफनाक सुसाइड ने सबको चौंका कर रख दिया है. जहां एक पिता और उसकी दो बेटियों के शव घर में फांसी के फंदे से लटकते मिले. मौके से एक डायरी भी मिली है, जिसमें मृतक मान्या ने अपनी ज़िंदगी की पूरी दास्तान को चार पन्नों में उकेर दिया है. 

जानिए क्या है पूरा मामला
मूलत: बिहार के सीवान के रहने वाले ओमप्रकाश श्रीवास्तव वर्तमान में शाहपुर थाना क्षेत्र स्थित गोसीपुर में मकान बनाकर रह रहे थे. वह एक प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड हैं. वह बेटे जितेंद्र श्रीवास्तव अपनी दो बेटियों मान्या श्रीवास्तव उर्फ रिया ( 16 ) और मानवी श्रीवास्तव उर्फ जिया ( 14 ) के साथ रहते थे . स्थानीय लोगों ने बताया कि जितेन्द्र की पत्नी की दो साल पहले कैंसर से मौत हो गई थीं. वहीं, कुछ वर्ष पहले रेल दुर्घटना में जितेन्द्र का एक पैर कट गया था. जिसके बाद घर में ही दर्जी का काम कर घर की जीविका चला रहा था. मंगलवार की सुबह ओम प्रकाश रात में ड्यूटी करके घर पहुंचे तो बेटे जितेन्द्र को फंदे से लटकता देखकर चीख पड़े . भागकर दूसरे कमरे में पहुंचे तो उनकी दोनों पौत्री मान्या और मानवी का शव एक ही पंखे पर दुपट्टे पर लटक रहे थे. 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सुसाइड की पुष्टि
शाहपुर थाना प्रभारी ने बताया कि सभी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गए हैं. तीनों के शरीर में कहीं चोट के निशान नहीं मिले हैं. रिपोर्ट में सुसाइड की पुष्टि हुई है. मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद तीनों का अंतिम संस्कार राजघाट पर किया गया. 

पुलिस को मिली डायरी, बच्ची ने चार पन्नों में उकर दी जिंदगी की दास्तान
वहीं, पुलिस को मान्या के मौत के बाद एक डायरी मिली है. जिसमें उसने अपनी ज़िंदगी की पूरी दास्तान को चार पन्नों में उकेर दिया है. वह शहर के एक प्राइवेट स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ती थी. मान्या अपनी डायरी में लिखी है, ''ये जिंदगी सुन तो अब बहुत कठोर हो चुकी है. हमारे परिवार को किस की नजर लगी. पहले मां को छीन लिया फिर एक एक करके तुमने मेरी सारी खुशियां छीन लीं. ... जिदंगी मेरे साथ इतना निर्दयी मत बनो , मैं इतनी मजबूत नहीं हूं , प्लीज मुझे बख्श दो , मैंने तुम्हारा सबसे सख्त रूप देखा है .लेकिन तुम मुझे कभी संघर्ष कराने में हिचकिचाई नहीं. यहां तक की तुमने मेरे मां - बाप को भी प्रताड़ित किया मां को छीन लिया. तुमने उनको चैन से जीने नहीं दिया .उन्होंने सबसे कठिन परिस्थितियों का सामना किया है . उनके चेहरे पर थकी मुस्कान के साथ और जब मेरी मां ने दम तोड़ दिया उसके बाद भी तुमने किसी को दूसरा मौका नहीं दिया .तुमने मेरी सारी खुशियां छीन लीं. मैं मां से बहुत प्यार करती थी. " वो मेरी मां थी जिसे तुमने छीन लिया मुझसे ... मेरे पापा हम सब के लिए जूझ रहे हैं. तुम बहुत निर्दयी हो छोड़ दो हमे. अब मुझे लगता है मैं एक अभिशाप हूं. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता ये दर्द और ये दुख भरी जिंदगी . ये जिंदगी बहुत कठिन है . मुझे थोड़ी सी खुशियां दे दो . सबकी जिंदगी में समस्या होती हैं. , मुझे नहीं पता वो कैसे जीते हैं. मैं तुमसे लड़ना चाहती हूं , पर अब हार रही हूं. समस्या की एक लंबी कतार है ... ए जिंदगी , मेरे साथ इतनी निर्दयी मत बनो '' मैं इतनी मजबूत नहीं हूं. , प्लीज मुझे बख्श दो.'' 

डायरी में लिखी इन लाइनों से पता चला है कि मान्या के परिवार ने आर्थिक समस्या कारण जिंदगी में बहुत दर्द झेले हैं. उसने अपनी डायरी में दूसरे पन्ने पर लिखा है , " जिंदगी बहुत निर्दयी है .इसने हमें पैसों की समस्या दी. इसके बावजूद भी हमने अपने आपको मजबूत बनाया. ताकि हम यह न सोचें कि मैं ही क्यों. बल्कि हम चुनौती का सामना करेंगे ... रोती हूं तो आंखे दर्द होती हैं. इसी तरह तीसरे पन्ने पर लिखा, "मेरा दिल अब पत्थर का हो चुका है. जब मैं रोती हूं मेरी आंखों में दर्द होता है. अब मै रो भी नहीं पा रही हूं. फिर मैं रोती हूं मेरा सिर में दर्द होता हैं.जिंदगी में समस्याओं , दुख , रोना , अपमानों को कोई समझता नहीं है . इस पूरी दुनिया में कोई ऐसा नहीं है जो मुझे समझ सके . सांत्वना देने वाला भी कोई नहीं . मुझे दुनिया को दिखाना होता है कि मैं मजबूत हूं ." दोस्त ने भी तोड़ा था मान्या का भरोसा.

इसी तरह चौथे पन्ने पर लिखा है , " मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है कि जिसे मैं अपना दोस्त मानती थी वो मेरे और मेरे ऐसा के बारे में ऐसा सोचती थी . मुझे लगता था कि वो मेरे से बात नहीं कर रही है ... वो किसी टेंशन में होगी पर नहीं सभी के जैसे उसकी भी सबके जैसी ही मानसिकता थी , कि हम बिना मां के बच्चे है. , और गंदा काम करेंगे ... ऐसा कैसे सोच सकती है. ?

डायरी में लिखी इन लाइनों ने सबको झकझोर दिया है. घर में पिंजड़े में दो तोतों को चार वर्षो से पाल रखी थी. डायरी में उन बेजुबानों का भी जिक्र किया है , मान्या को अपने परिवार के साथ ही तोतों से भी इतना प्यार था कि उसे अपनी मौत के बाद भी इन बेजुबानों की फिक्र थी.नोट में दोनों तोतों को पिंजड़े से उड़ा देने का जिक्र है. उसमे लिखा है '' पैब्लो व लीली को उड़ा दीजिए . परिवार ने सुसाइड करने से पहले तोते के पिंजड़े को कपड़े से ढक दिया था. मान्या नहीं चाहती थी कि वह जिन तोतों को चार साल से पाल रही है , वह उन्हें तड़प तड़पकर दम तोड़ता देखें .

गोरखपुर में जितेन्द्र का पहला दिन ही भयवाहक था
वर्ष 1999 में जब पिता पत्नी के साथ राजेंद्र बिहार से गोरखपुर का रूख किए तो जितेंद्र व उनके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था. बिहार से गोरखपुर आते समय मैरवा स्टेशन पर ट्रेन से उनका एक पैर कट गया था . दो वर्षो बाद किसी तरह कृत्रिम पैर के सहारे घर में ही दर्जी का काम शुरु किए. जितेन्द्र की पत्नी सिम्मी का इलाज के अभाव में दो वर्ष पहले मौत हो गई. पत्नी की मौत का घाव अभी भरा नहीं था कि छह माह पूर्व जितेन्द्र की मां का भी देहांत हो गया. 

परिवार में दो मौत के बाद जितेन्द्र पर दो बेटियों की पढ़ाई की जिम्मेदारी आ गई. ठीक से उपचार नहीं होने पर जितेन्द्र के भी पैर में दर्द बढ़ता जा रहा था. परिवार चलाना अब मुश्किल हो गया था.पूरा परिवार कर्ज में डूबा हुआ था . ऐसे में परिवार और जरूरतों के खर्चों के अलावा जितेंद्र पर सबसे अधिक बोझ बेटियों के पढ़ाई का पड़ रहा था . कई महीने से बेटियों की स्कूल फीस भी बाकी थी . हालांकि छोटी बेटी मानवी इन बातों को पूरी तरह नहीं समझती थी , लेकिन बड़ी बेटी मान्या अपने पिता के संघर्षों से टूट चुकी थी .

जिस मंच की सांस्कृतिक कार्यक्रम की थी उसी मंच पर दी गई श्रद्धांजलि
14 नवंबर को बाल दिवस के उपलक्ष्य में जिस मंच से मान्या ने सांस्कृतिक कार्यक्रमकिया था. उसी मंच पर मान्या के मौत के बाद स्कूल में श्रद्धांजलि दी गई. कार्यक्रम के दौरान मान्या की छोटी बहन मानवी दर्शक दिर्घा में बैठकर ताली बजाकर बड़ी बहन का उत्साहवर्धन कर रही थी. 

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