दुनिया भर में सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार में जुटी गोरखपुर की गीता प्रेस को 2021 का महात्मा गांधी शांति पुरस्कार दिया जाएगा. संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के रूप में चुनने का फैसला किया.
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लखनऊ: 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस गोरखपुर को दिए जाने की घोषणा कर दी गई है. गांधी शांति पुरस्कार महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के मौके पर महात्मा गांधी द्वारा बनाए आदर्शों को श्रद्धांजलि के रूप में दिया जाता है. ये 1995 में भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है. गांधी शांति पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग से इतर किसी को भी दिया जा सकता है. गांधी शांति पुरस्कार में 1 करोड़ रुपये की राशि के साथ एक प्रशस्ति पत्र के साथ और भी कई चीजें दी जाती हैं. खास बात यह है कि इसी साल गीता प्रेस ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे किए हैं. लगभग 14 भाषाओं में गीता प्रेस द्वारा धार्मिक महत्व की पुस्तकों का प्रकाशन किया जाता है. एक अनुमान के मुताबिक 40 करोड़ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा किया जा चुका है. इनमें 16 करोड़ से अधिक श्रीमद् भगवतगीता हैं.
पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने किया चयन
संस्कृति मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने 18 जून, 2023 को विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने का फैसला किया. ये पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया है. गीता प्रेस गोरखपुर को मिले इस सम्मान के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुभकामनाएं दी हैं.
भारत के सनातन धर्म के धार्मिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र, गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को वर्ष 2021 का 'गांधी शांति पुरस्कार' प्राप्त होने पर हृदय से बधाई।
स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर मिला यह पुरस्कार गीता प्रेस के धार्मिक साहित्य को एक नई उड़ान देगा।
इसके लिए आदरणीय…
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 18, 2023
इन्हें भी मिल चुका है गांधी शांति पुरस्कार
इसरो
रामकृष्ण मिशन
बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक
विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी
अक्षय पात्र बेंगलुरु
एकल अभियान ट्रस्ट
सुलभ इंटरनेशनल
स्वर्गीय डॉ. नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति
डॉ. जूलियस न्येरेरे, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति
डॉ. ए.टी. अरियारत्ने सर्वोदय श्रमदान आंदोलन, श्रीलंका के संस्थापक अध्यक्ष,
डॉ. गेरहार्ड फिशर, जर्मनी संघीय गणराज्य
बाबा आमटे
डॉ. जॉन ह्यूम आयरलैंड, वाक्लेव हवेल
चेकोस्लोवाकिया के पूर्व राष्ट्रपति
दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप डेसमंड टूटू
श्री चंडी प्रसाद भट्ट और योही ससाकावा जापान
सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद, ओमान (2019) और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान (2020), बांग्लादेश
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