हरिद्वार में संत सम्मेलन के दौरान संतों ने हिंदू आबादी को लेकर एक अजीबोगरीब आह्वान किया है, यहां कई संतों ने एक स्वर में कहा कि ''हिंदूओं को चार बच्चे कम से कम पैदा करने चाहिए'' आइए जानते हैं इसके पीछे संतों ने क्या तर्क गिनाए हैं.
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हरिद्वार/करण खुराना: देश में हो रहे जनसंख्या विस्फोट के बीच हरिद्वार में आयोजित संत सम्मेलन से एक विवादित बयान सामने आया है. संतों ने हिंदुओं से अपील की है कि सनातन संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए अब हम दो हमारे दो के सिद्धांत को छोड़कर ज्यादा बच्चे पैदा करने चाहिए. इस संत सम्मेलन में योग गुरु बाबा रामदेव और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष समेत देश के दिग्गज संत मौजूद रहे.
महामंडलेश्व स्वामी रुपेंद्र प्रकाश ने कहा कि '' एक बेटा राष्ट्र, एक गृहस्थ और एक माता-पिता की सेवा के लिए समर्पित हो. नहीं तो संत कोई नहीं बन पाएगा. दो या तीन बेटा जिनके हो उन्हें एक बेटे को संन्यासी बनाना चाहिए.'' आचार्य महामंडलेश्वर निरंजनी अखाड़ा स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा कि ''चार बच्चे जरुर होने चाहिए. कम से कम एक बच्चा देश की रक्षा और संत बनने के लिए होना चाहिए.''
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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी ने कहा ''हम दो हमारे दो से अब हिंदू समाज एक बच्चे में आ गया है, जबकि मुस्लिम समाज हम चार हमारे 40 की ओर बढ़ रहे हैं, इससे जनसंख्या अनुपात गड़बड़ हो रहा है. दो तीन बच्चे होंगे तो एक सेना में जाए, एक घर परिवार चलाएगा. ऐसी सनातन परंपरा है. कोई यदि संत नहीं बनेगा तो परंपरा कैसे जीवित रहेगी.''
आचार्य महामंडलेश्वर निरंजनी अखाड़ा स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा कि ''चार बच्चे जरुर होने चाहिए. कम से कम एक बच्चा देश की रक्षा और संत बनने के लिए होना चाहिए.'' एक तरफ देश में जनसंख्या वृद्धि कम करने की कोशिश की जा रही है वहीं संतों की यह अपील समझ से परे है. जनसंख्या असंतुलन को कम करने के लिए हर मजहब के लोगों को आबादी को नियंत्रित करने के लिए जागरुक होना होगा.
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