यूपी से यूटर्न क्यों ले रही कांग्रेस ? अब कांग्रेस अध्यक्ष पद भी हाथ से गया, जानें उत्तर प्रदेश से पार्टी के उखड़ने की 5 वजहें ?
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यूपी से यूटर्न क्यों ले रही कांग्रेस ? अब कांग्रेस अध्यक्ष पद भी हाथ से गया, जानें उत्तर प्रदेश से पार्टी के उखड़ने की 5 वजहें ?

Congress President Election : कांग्रेस अध्यक्ष पद पिछले 24 साल तक उत्तर प्रदेश के पास रहा है. यूपी से सांसद सोनिया गांधी, राहुल गांधी के पहले इंदिरा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और राजीव गांधी भी कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं. 

Rahul Gandhi Congress President

CONGRESS PRESIDENT  UTTAR PRADESH : कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद पिछले 24 साल से कांग्रेस के पास था, लेकिन अब मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) कांग्रेस के नए मुखिया होंगे. उन्होंने पार्टी के आंतरिक चुनाव में शशि थरूर (Shashi Tharoor) को हराया. खड़गे को 7897 वोट मिले, जबकि थरूर को 1072 वोट ही हासिल हुए. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मतगणना बुधवार सुबह 10 बजे कांग्रेस मुख्यालय में हुई. हालांकि सवाल उठता है कि कांग्रेस दिल्ली की सत्ता का रास्ता दिखाने वाले उत्तर प्रदेश से यू टर्न क्यों ले रही है. 80 सांसदों के साथ दिल्ली की सत्ता का रास्ता दिखाने वाले उत्तर प्रदेश की अहमियत कांग्रेस के भीतर लगातार कम होती जा रही है. कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं, लेकिन यूपी मानो उनके राजनीतिक नक्शे से गायब ही है. राहुल गांधी लोकसभा में 20 सीटों वाले केरल में भारत जोड़ो यात्रा के तहत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने 18 दिन बिताए, लेकिन 80 सांसदों वाले यूपी में उनका सिर्फ 4 दिन का कार्यक्रम है.

LIVE: उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड समाचार: मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष, 24 साल बाद मिला पहला गैर गांधी परिवार के मुखिया

4 दशकों तक यूपी से कांग्रेस अध्यक्ष
आजादी के बाद 75 सालों की बात करें तो करीब 4 दशकों तक कांग्रेस अध्यक्ष पद उत्तर प्रदेश से आने वाले सांसद या नेता के पास रहा है. देश के पहले प्रधानमंत्री इलाहाबाद से सांसद रहे जवाहर लाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अमेठी से सांसद रहे राजीव गांधी और राहुल गांधी और रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी इस फेहरिस्त में शामिल हैं. इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पुरुषोत्तम दास टंडन का जन्म भी इलाहाबाद औऱ आज के प्रयागराज में हुआ था. 

लोकसभा चुनाव में बुरा हाल
देश में 1952 के पहले आम चुनाव में तब के उत्तर प्रदेश की कुल 86 लोकसभा सीटें थीं. कांग्रेस ने उसमें से 81 सीटें जीती थीं, लेकिन आज कांग्रेस यूपी में 1 सीट पर अटक गई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अमेठी से स्मृति ईरानी के हाथों हार गए. केरल की मुस्लिम बहुल वायनाड सीट से उन्हें जीत नसीब हुई. लेकिन एक ओर जहां सपा, बसपा जैसे दल उत्तर प्रदेश में नगर निगम चुनाव को लेकर जोरदार कवायद कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस कहीं दिखाई नहीं दे रही है. हर बार गठबंधन का नया प्रयोग भारी पड़ रहा है. 

भारत जोड़ो यात्रा में यूपी की उपेक्षा
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत 3750 किलोमीटर की पदयात्रा कर रहे हैं, लेकिन यूपी के हिस्से में महज 105 किमी आए हैं. कांग्रेस के भारत जोड़ो यात्रा का जो कैलेंडर दिया है, उसे मानें तो उसके मुताबिक यह यात्रा उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से सिर्फ एक बुलंदशहर से गुजरेगी.ये 105-110 किलोमीटर का सफर भी 4 दिनों में तय होगा. कांग्रेस नेताओं की मांग थी कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अयोध्या, काशी, मथुरा जैसे ऐतिहासिक पौराणिक स्थलों से गुजरे, लेकिन कोर

विधानसभा चुनाव : लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा नहीं चला
कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सिर्फ 2.3 फीसदी वोट के साथ 2 सीटें ही हासिल की थी. राहुल गांधी की नाकामयाबी के बाद 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे के साथ महिला चेहरे के तौर पर प्रियंका गांधी को आगे रखकर चुनाव लड़ा गया, लेकिन मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की बात से वो पीछे हट गईं. ये दांव यूपी की पॉलिटिक्स में उल्टा पड़ा. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने नाममात्र की रैलियां की थीं.लेकिन कमजोर हालात के बावजूद कांग्रेस ने सपा और बसपा के साथ महागठबंधन बनाने के लिए समझौता करने के प्रयासों को झटका दिया.

यूपी से बड़ा चेहरा देने की कोशिश नहीं
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष की कमान पहले अजय कुमार सिंह लल्लू को सौंपी गई. फिर अब दलित समाज के बृज लाल खाबरी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है. पूर्वांचल के कुशीनगर से ताल्लुक ऱखने वाले लल्लू यूपी विधानसभा चुनाव में तमकुहीराज सीट से तीसरे स्थान पर रहे. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस की कमान किसी युवा तेजतर्रार नेता को देने की जरूरत है. उस पर लंबे वक्त तक भरोसा जताए. लेकिन कांग्रेस राजस्थान में सचिन पायलट, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को नजरअंदाज करने जैसी गलती यूपी में कर रही है. 

गौरतलब है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए सीधा मुकाबला कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे और केरल से सांसद शशि थरूर के बीच था, क्योंकि राहुल गांधी, सोनिया गांधी या अन्य नेताओं ने चुनावी दौड़ से खुद को बाहर रखा. अशोक गहलोत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री को तरजीह देना भारी पड़ा.कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व  कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत लगभग 9500 प्रतिनिधियों ने सोमवार को चुनाव में मतदान किया था. 

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