Chamoli: जानिए कैसे भारत का अंतिम गांव बना देश का पहला गांव, ये है वाइब्रेंट विलेज की कहानी
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1667254

Chamoli: जानिए कैसे भारत का अंतिम गांव बना देश का पहला गांव, ये है वाइब्रेंट विलेज की कहानी

चमोली के माणा घाटी का सीमान्त गांव माणा भारत का पहला गांव बन गया है. अब देश के इस अंतिम गांव को पहले गांव के तौर पर जाना जाएगा.

Chamoli: जानिए कैसे भारत का अंतिम गांव बना देश का पहला गांव, ये है वाइब्रेंट विलेज की कहानी

कुलदीप नेगी/देहरादून: चमोली के माणा घाटी का सीमान्त गांव माणा भारत का पहला गांव बन गया है. अब देश के इस अंतिम गांव को पहले गांव के तौर पर जाना जाएगा. आइए बताते हैं देश के अंतिम गांव के पहला गांव बनने की कहानी.

पीएम मोदी ने कहा था
आपको बता दें कि बीआरओ ने सीमांत गांव माणा के प्रवेश द्वार पर देश के अंतिम गांव के स्थान पर देश का पहले गांव का साइन बोर्ड लगा दिया है. दरअसल, पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माणा गांव के दौरे पर पहुंचे थे. तब पीएम ने कहा था कि सीमा पर बसा हर गांव देश का पहला गांव है. वहीं, अब सीमा सड़क संगठन ने माणा गांव का बोर्ड को भी बदल दिया है. अब अगर आप बद्रीनाथ धाम जाएंगे तो आपको देश के इस पहले गांव को देखने का मौका मिलेगा.

वाइब्रेंट विलेज के अंतर्गत आता है माणा गांव
वाइब्रेंट विलेज योजना के अंतर्गत चीनी सीमा से सटे देश के सीमान्त इलाके के इन गांवों का विकास किया जा रहा है. उनमें से एक गांव माणा गांव भी है. दरअसल, आज से पहले माणा इस सीमांत इलाके के आखिरी गांव के तौर पर जाना जाता था. जानकारी के मुताबिक इस गांव के आगे कोई गांव नहीं है. दूसरी तरफ अंतराष्ट्रीय सीमा है. यहां सेना और आईटीबीपी के जवान मोर्चा संभालते हैं. आपको बता दें कि 1962 की जंग से पहले इस रास्ते तिब्बत से व्यापार भी होता था, जो 1962 की जंग के बाद बंद हो गया.

6 माह निचले इलाकों में रहते हैं गांव के लोग
दरअसल, माणा गांव के लोग 6 माह माणा और 6 माह निचले इलाकों में रहते हैं. सर्दियों के मौसम में ये पूरा क्षेत्र बर्फ से ढ़क जाता है. इसलिए यहां के लोग निचले इलाकों में चले जाते हैं. इसके बाद वह गर्मियों के महीने में वापस लौट आते हैं. वहीं, वाइब्रेंट विलेज योजना का मकसद सीमा क्षेत्र के गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़कर यहां के लोगों के जीवन में गुणात्मक सुधार करने और पर्यटन को बढ़ावा देकर नई ऊंचाइयों तक ले जाना है. ताकि गांव के लोग पलायन न करें और यहां पर रुकें.

दूसरी सुरक्षा पंक्ति के तौर पर भी जाने जाते हैं सीमान्त गांव
आपको बता दें कि ये सीमांत गांव द्वितीय रक्षा पंक्ति के तौर पर भी माने जाते हैं. उत्तराखंड राज्य के 3 जिले सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण जिसमें चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ शामिल है. तीनो जिलों की सीमाएं चीन के कब्जे वाले तिब्बत की सीमा से सटती है. लिहाजा इनके अंतरराष्ट्रीय महत्व को समझा जा सकता है. लिहाजा केंद्र सरकार इस द्वितीय रक्षा पंक्ति को और मजबूत करना चाहती है.

Trending news