आखिरकार सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच रिश्तों में तल्खी खत्म हुई. दोनों ने न सिर्फ रविवार को मंच साझा किया बल्कि डिंपल यादव की जीत का भरोसा भी जाहिर किया.
Trending Photos
इटावा: उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के लिए रविवार का दिन राहत भरी खबर लेकर आया. चुनाव से पहले पहली बार समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के बीच मनमुटाव दूर होने वाली तस्वीर देखने को मिली. रविवार को चाचा और भतीजे एक ही मंच पर नजर आए. अखिलेश ने चाचा शिवपाल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. उन्होंने यह भी कहा कि चाचा-भतीजे के बीच दूरियां कभी नहीं रहीं. शिवपाल ने भी अपने संबोधन में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव की बड़ी जीत सुनिश्चित करने का आह्वान किया. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनके प्रतिनिधित्व वाली मैनपुरी सीट पर उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को मतदान होना है. सपा ने इस सीट पर अखिलेश की पत्नी और मुलायम की पुत्रवधू डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है.
सैफई में साथ आए अखिलेश-शिवपाल
रविवार को पारिवारिक गढ़ सैफई में आयोजित एक चुनावी रैली में अखिलेश यादव ने कहा, ''उपचुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं, जब 'नेताजी' (मुलायम सिंह यादव) हमारे बीच नहीं हैं. पूरे देश की नजरें इस उपचुनाव पर हैं और मैं कह सकता हूं कि पूरा देश समाजवादी पार्टी की ऐतिहासिक जीत का गवाह बनेगा”. अखिलेश ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ''कई बार लोग कहते हैं कि बहुत दूरियां हैं. आप सबको बता दूं कि चाचा-भतीजे में कभी दूरियां नहीं थीं. हमारी राजनीति में दूरियां थीं'' उन्होंने कहा, ''मैंने कभी चाचा-भतीजे के रिश्ते में दूरियां नहीं मानीं और मुझे इस बात की खुशी है कि राजनीति की दूरियां भी आज खत्म हो गईं. इसलिए बीजेपी को घबराहट हो रही होगी, क्योंकि वह जानती है कि जसवंतनगर ने मन बना लिया है, करहल साथ चल दिया है, मैनपुरी के लोग समर्थन में हैं और भोगांव भी सपा के पक्ष में हैं'' अखिलेश की इस टिप्पणी के बाद रैली में उमड़ी भीड़ ने जोरदार तालियां बजाईं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा में जसवंत नगर और करहल सीट का प्रतिनिधित्व क्रमश: शिवपाल और अखिलेश करते हैं. रविवार को इलेक्शन कैंपेन के दौरान अखिलेश ने शिवपाल और सपा महासचिव राम गोपाल यादव के साथ मंच साझा किया. मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव से पहले अखिलेश ने गुरुवार को अपनी पत्नी और पार्टी उम्मीदवार डिंपल यादव के साथ शिवपाल से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद उन्होंने ट्वीट किया था,''नेताजी और परिवार के बुजुर्गों के आशीर्वाद के साथ-साथ मैनपुरी की जनता भी हमारे साथ हैं.'' अखिलेश ने शिवपाल के साथ ली गई एक तस्वीर भी साझा की थी. वहीं शिवपाल ने बुधवार को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी और उपचुनाव में सपा प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने का आह्वान किया था. चुनाव में शिवपाल की भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनका विधानसभा क्षेत्र जसवंत नगर मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. शिवपाल का मैनपुरी की जनता से गहरा नाता है और सपा संस्थापक के न रहने पर क्षेत्र में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में वह मुलायम के प्रतिनिधि के तौर पर जाते थे.
इसलिए अहम है शिवपाल का साथ आना
शिवपाल का डिंपल के पक्ष में प्रचार करना इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि भाजपा ने रघुराज सिंह शाक्य को टिकट दिया है, जो कभी शिवपाल के करीबी रहे थे. मैनपुरी में मतदान पांच दिसंबर को होगा, जबकि वोटों की गिनती आठ दिसंबर को की जाएगी. क्षेत्र में मुकाबला मुख्य रूप से सपा की डिंपल यादव और भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य के बीच है.
यह भी पढ़ें: गाजियाबाद में नहीं थम रहा कुत्तों का आतंक, बच्ची बुरी तरह काटा
क्या कहता है सियासी समीकरण
पांच विधानसभा क्षेत्र-मैनपुरी, भोगांव, किशनी, करहल और जसवंत नगर मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में आते हैं. 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा ने करहल, किशनी और जसवंत नगर सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि मैनपुरी और भोगांव सीटों में बीजेपी को विजय हासिल हुई थी. इस मौके पर अखिलेश यादव ने बीजेपी का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि यह पहली सरकार है, जो अपने वादों को भूल गई है. सपा सुप्रीमो ने अपना हमला और तेज करते हुए कहा, 'जब 'दूरी' होती है तो कहते हैं कि झगड़ा है और जब हम एक हो जाते हैं तो वे हमें 'परिवारवादी' पार्टी कहते हैं, यही समस्या भाजपा के लोगों की है और रहेगी, क्योंकि वह हर जगह कमियां तलाशते हैं. बीजेपी पर झूठा प्रचार करने का आरोप लगाते हुए यादव ने कहा कि हमें 'नेताजी' ने हमेशा भाईचारे और सौहार्द की राजनीति सिखाई है.
सपा प्रमुख ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को 'नेताजी' के दिखाए रास्ते पर चलना होगा और देश और समाज की दिशा बदलनी होगी. उन्होंने कहा, ''अगर नेताजी अड़े न होते तो लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे 23 महीने के अंतराल में नहीं बन पाता. इस एक्सप्रेस-वे को देश का सबसे अच्छा एक्सप्रेस-वे पाया गया. जब उन्हें (नेताजी) शिलान्यास के लिए आमंत्रित किया गया था तो शिलान्यास समारोह में उन्होंने कहा था कि वे शिलान्यास तभी करेंगे, जब उन्हें उद्घाटन की तारीख पता होगी. जिस दिन शिलान्यास हुआ था, उस दिन 'नेताजी' का जन्मदिन था, और जिस दिन उसका उद्घाटन हुआ था, उसी दिन भी उनका जन्मदिन था.''