कानपुर देहात में नवजात बच्ची की अंधविश्वास के चलते जान चली गई. डॉक्टर ने बच्ची के परिजनों को अच्छे अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी थी. लेकिन वो बच्ची में देवी का रूप देखकर उसे घर ले गए और उसकी पूजा करने लगे. जिसके चलते बच्ची ने दम तोड़ दिया.
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आलोक त्रिपाठी/ कानपुर देहात: उत्तर प्रदेश के कानपुर से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक नवजात बच्ची की अंधविश्वास के चलते जान चली गई. मासूम बच्ची ने आंख खोलने से पहले ही दम तोड़ दिया. वहीं बच्ची की मौत पूरे गांव में चर्चा का विषय बनी हुई है.
यह है पूरा मामला
यूपी के कानपुर देहात के डेरापुर तहसील क्षेत्र के जरौली गांव के रहने वाले सुधीर की पत्नी अनामिका (27) को 7 माह का गर्भ था. अचानक अनामिका को प्रसव पीड़ा हुई, तो परिजन उसे सीएचसी झीझक लेकर पहुंचे. यहां पर अनामिका ने एक बच्ची को जन्म दिया. जब लोगो ने बच्ची को देखा, तो उनके होश उड़ गए. नवजात बच्ची का सिर सामन्य बच्चों से काफी बड़ा था और मुंह भी कुछ अलग दिख रहा था. इसके बाद डॉक्टर ने बच्ची को किसी अच्छे अस्पताल में ले जाने की सलाह दे दी.
अंधविश्वास में पड़ गया परिवार
डॉक्टर ने बच्ची को अच्छे अस्पताल में ले जाने की बात कही, लेकिन नवजात के परिजन बच्ची को देवी का रूप मानने लगे और उसकी पूजा करने लगे. इसके बाद बच्ची के परिजन उसको अस्पताल की जगह घर ले गए. बच्ची में देवी होने की जानकारी मिलते ही उसके देखने के लिए गांव में भीड़ उमड़ पड़ी और लोग उसकी पूजा करने लगे और उसको तमाम चीजें चढ़ाने लगे.
फोटो सोशल मीडिया पर वायरल
बच्ची में देवी मां होने की अफवाह होने के कारण नवजात चर्चा का विषय बन गई. इसके बाद पूरा गांव उसे देखने और उसकी पूजा करने के लिए उमड़ पड़ा. वहीं किसी ने बच्ची की फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी. पिरजनों के इस अंधविश्वास और लापरवाही के कारण बच्ची ने दम तोड़ दिया.
बच्ची को थी दिमागी बीमारी
झीझक सीएचसी प्रभारी दीपक गुप्ता ने इस मामले में अधिक जानकारी देते हुए बताया कि बच्ची 7 माह में ही पैदा हो गई थी. बच्ची का वजन 1300 ग्राम था जबकि आम नवजात बच्चे का वजन 2500 ग्राम के आसपास होता है. डॉक्टर दीपक ने बताया कि बच्ची को हाइड्रोसिफलस नाम की दिमागी बीमारी थी. आसान भाषा में कहें तो इस बीमारी में दिमाग की झिल्ली में पानी भर जाता है. दिमाग में पानी भरने के कारण बच्चे का सिर बड़ा दिखता है. परिजनों को बच्ची को समय रहते अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई थी. लेकिन वो बच्ची को घर ले गए और देवी का अवतार मानकर पूजा पाठ करने लगे. बच्ची को इलाज की अति आवश्यकता थी.
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