Om Prakash Rajbhar Profile: ओम प्रकाश राजभर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. यहां आगे जानें कौन हैं सत्ता से अधिकतर दूर रहने वाले ओपी राजभर जो लोकसभा की करीब 28 सीटों पर खेल बनाने या बिगाड़ने का दमखम रखते हैं. पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें....
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Lucknow: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला मंत्रिमंडल विस्तार हो गया है. लखनऊ राजभवन में 5 बजे इन सभी 5 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. मंगलवार 5 मार्च 2024 को शाम 5:00 बजे राजभवन में कैबिनेट विस्तार कार्यक्रम का आयोजन किया गया. भारतीय जनता पार्टी के 2, राष्ट्रीय लोक दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के1-1 विधायकों को मंत्री बनाया गया है. पहले से दावा किया जा रहा था कि भाजपा, रालोद और सुभासपा को मिलाकर 6 से 7 मंत्री शपथ ग्रहण कर सकते हैं. हालांकि चार मंत्रियों को ही शपथ दिलाई है. भाजपा से दारा सिंह चौहान और सुनील शर्मा को मंत्री बनाया गया है. वहीं, सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और एनडीए में पिछले दिनों शामिल हुई रालोद के अनिल कुमार भी मंत्री पद ने शपथ लिया है. यहां आगे हम आपको सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर के बारे में पूरी जानकरी देने जा रहे हैं....
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर का जन्म 15 सितंबर, साल 1962 में को वाराणसी जिले के फतेहपुर खौदा सिंधोरा के रहने वाले सन्नू राजभर के घर हुआ था. राजभर के पिता कोयला की खदान में मजदूरी किया करते थे. घर खर्च में पिता का हाथ बंटाने के लिए राजभर खेती-किसानी किया करते थे. इसके अलावा अपने छात्र जीवन में पढ़ाई के साथ-साथ खर्च निकालने के लिए एक टेम्पो भी चलाया करते थे. ओपी राजभर ने बनारस के बलदेव डिग्री कालेज से वर्ष 1983 में स्नातक की डिग्री हासिल की जिसके बाद यहीं से उन्होंने राजनीति शास्त्र से परास्नातक भी किया. ओपी राजभर की पत्नी का नाम राजमति है. इनके दो बेट हैं अरुण राजभर और अरविंद राजभर हैं. अरुण राजभर पिता की पार्टी सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं.
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राजनीति में एंट्री
ओम प्रकाश राजभर ने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम से प्रभावित होकर वर्ष 1981 में सक्रिय राजनीति में एंट्री की, जिसके बाद वह बहुजन समाज पार्टी के एक सामान्य कार्यकर्ता के रुप में कई साल तक काम किया. वर्ष 1996 में पहली बार ओपी राजभर को बसपा का जिलाध्यक्ष बनाया गया. कांशीराम के बाद मायावती के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले नेता ने साल 2001 में भदोही का नाम बदलकर संतकबीर नगर रखने से नाराज होकर मायावती के खिलाफ बगावत कर दी और 27 अक्टूबर, 2002 में बसपा से अलग होकर अपनी पार्टी सुभासपा को स्थापित कर दी. इसके बाद साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में ओपी राजभर ने उत्तर प्रदेश और बिहार में अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन एक भी सीट पर जीत नहीं मिली.
भाजपा से गठबंधन
वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर को भाजपा ने 8 सीटें दी जिनमें से 4 सीटों पर जीत दर्ज की. इस जीत के बाद ओम प्रकाश राजभर को योगी आदित्यनाथ की सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण व दिव्यांगजन कल्याण मंत्री का पद दिया गया. लेकिन गठबंधन के विरोध में काम करने की वजह से बीजेपी नें इनसे अपनी राह अलग कर ली. जिसके बाद साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले वह अखिलेश यादव के साथ आ गए. राजभर ने अखिलेश यादव से गठबंधन कर 16 सीटों पर चुनाव लड़ा और छह सीटों पर जीत भी हासिल की.
यूपी में सबके लिए राजभर जरूरी
यूपी की राजनीति में जाति का फैक्टर हमेशा काम करता है. सलिए 80 लोकसभा वाले इस राज्य में राजभर समाज का वोटबैंक सभी राजनितिक दलों के लिए जरूरी हो जाता है. तभी तो सपा हो या भाजपा दोनों ही दल ओपी राजभर की सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) से दोस्ती करने से कतराते नहीं हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में राजभर समाज की आबादी 12 प्रतिशत है जबकि, पूर्वांचल क्षेत्र में राजभर जाति की आबादी 12-22 फीसद है और इसी वजह से राजभर वोटबैंक पूर्वांचल के दो दर्जन से अधिक लोकसभा सीटों पर 50 हजार से करीब ढाई लाख तक हैं. इसके अलावा घोसी लोकसभा समेत बलिया, चंदौली, सलेमपुर, गाजीपुर, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर और भदोही राजभर बहुल क्षेत्र माने जाते हैं. यहां की सीटों पर हार और जीत का निर्णय राजभर समुदाय के लोग करते हैं.
राजभर फिर से कमल के साथ
2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा से गठबंधन कर लिया है. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रीमंडल में मंगलवार को कुछ नए चेहरे शामिल कर लिए हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर ने भी मंत्रिपद की शपथ ले ली है.