UP News: आरक्षण के भीतर आरक्षण कबूल नहीं, सरकारें मनचाही जातियों को देंगी रिजर्वेशन, मायावती ने SC के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोला
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UP News: आरक्षण के भीतर आरक्षण कबूल नहीं, सरकारें मनचाही जातियों को देंगी रिजर्वेशन, मायावती ने SC के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोला

Mayawati: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बसपा सुप्रीमो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए आरक्षण मुद्दे पर अपनी पुराने तेवरों में दिखी हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी दिखाते हुए ... पढ़िए पूरी खबर ... 

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UP News: बीएसपी सुप्रीमो मायावती फिर पुराने तेवरों में दिख रही हैं. मायावती ने रविवार को आरक्षण में सब कैटेगरी यानी उप श्रेणी बनाने की मंजूरी देने के फैसले का खुलकर विरोध जताया. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि आरक्षण में वर्गीकरण का मतलब आरक्षण को समाप्त करके उसे सामान्य वर्ग को देने जैसा होगा. हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है और हम आरक्षण में किसी तरह के वर्गीकरण के खिलाफ हैं. SC-ST आरक्षण सामान्य वर्ग को दिया जा सकता है. केंद्र और राज्य सरकारों में मतभेद की स्थिति बनेगी. सुप्रीम कोर्ट( SC) ने 2004 के अपने फैसले को पलट दिया है. इससे सरकारें मनचाही जातियों को आरक्षण देने का काम करेंगी और असंतोष की भावना उत्पन्न होगी.

क्या था ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 2004 में दिए अपने फैसले में एससी-एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान के लिए एक नीति बनाने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही कोर्ट ने उपवर्गीकरण वाली जातियों को सौ प्रतिशत आरक्षण देने से मना कर दिया था. कोर्ट के तत्कालीन फैसले के अनुसार वर्गीकरण तर्कसंगत सिद्धांत पर आधारित होना जरूरी था. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 565 पेजों का है. इस अहम फैसले को 7 जजों की संविधान पीठ ने सुनाया था. फैसले में सात में से छह न्यायाधीशों ने बहुमत का फैसला सुनाया था. जिसमें 565 पृष्ठों में 6 अलग अलग फैसले सुनाए गए थे.  सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला ईवी चिन्नैया मामले में दिया था. अपने इसी फैसले को आज कोर्ट ने रद्द कर दिया है. 

समानता के अधिकार को प्राप्त करने का यही तरीका
सुप्रीम कोर्ट ने पुराने निर्णय को बदलते हुए कहा कि समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए यही एक तरीका है. क्योंकि 100 फीसदी सीटों का उपवर्गीकरण नहीं किया जा सकता है. हालांकि अधिक जरूरतमंदों को लाभ देने के लिए SC वर्ग में उपवर्गीकरण किया जा सकता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट नए फैसले में भी जरूरतमंद साबित करने के लिए सही आंकड़े एकत्र करने की बात पर जोर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि अगर हम 100 फीसदी सीटों को उपवर्गीकरण कर देते हैं तो राज्य में मौजूद अन्य जातियों के साथ यह सही नहीं होगा.

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