UP Byelection: कांग्रेस ने किया यूपी विधानसभा उपचुनाव न लड़ने का फैसला, अखिलेश को तगड़ा झटका: सूत्र
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UP Byelection: कांग्रेस ने किया यूपी विधानसभा उपचुनाव न लड़ने का फैसला, अखिलेश को तगड़ा झटका: सूत्र

UP Congress News in HIndi: उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने यूपी विधानसभा उपचुनाव न लड़ने का फैसला किया है. सूत्रों के अनुसार, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा हारी हुई सीटें देने के कारण ये फैसला लिया गया है.

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Samajwadi Party Congress alliance: उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में सीटों की साझेदारी को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच बड़ी दरार सामने आ गई है. सूत्रों के अनुसार, सपा के रवैये से आहत ने कांग्रेस यूपी उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. कांग्रेस ने उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को समर्थन करने का फैसला किया है. अभी विधानसभा चुनाव के नामांकन के महज चार दिन ही बचे हैं, लेकिन अभी तक कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है. 

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस सपा की हारी हुई सीट पर चुनाव लड़ना चाहती थी, विशेष तौर पर मीरापुर सीट पर चुनाव लड़ने की उसकी ख्वाहिश थी. लेकिन अखिलेश ने सिर्फ गाजियाबाद और खैर विधानसभा सीट ही कांग्रेस को देने की बात दो टूक कांग्रेस नेतृत्व को बता दी. इसके बाद अब कांग्रेस ने यूपी में उपचुनाव न लड़ने का फैसला लिया है.

कांग्रेस ने इस फैसले के जरिये सपा को सियासी संदेश देने की कोशिश है कि वो गठबंधन पर एकतरफा तौर पर अखिलेश यादव के फैसलों का समर्थन नहीं करती. उसने लोकसभा चुनाव में भी भारी मन से अखिलेश यादव की ओर से दी गई 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था और वो छह सीटें जीती भी थीं. हालांकि वो लगातार सपा के उपेक्षित रवैये को नजरअंदाज नहीं करना चाहती. खासकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता इससे आहत हैं. सपा ने जब छह सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया था, तब यूपी कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे और अन्य नेता सपा पर कोई टिप्पणी करने से बचते दिखे थे. इन नेताओं ने गेंद कांग्रेस नेतृत्व के पाले में डाल दी थी. 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने बहुत सधा हुआ फैसला लिया है. उसने सपा को समर्थन की घोषणा कर गठबंधन तोड़ने के दाग से भी खुद को बचा लिया. दूसरी ओर अगर उपचुनाव में विपक्ष हारता है तो उसकी जिम्मेदारी भी अपने सिर पर लेने से भी वो बच गई. गाजियाबाद सदर सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. खैर विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस उतनी मजबूत स्थिति में नहीं है. 

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