बीजेपी के बड़े नेता हर हफ्ते कार्यकर्ताओं का दुख दर्द सुनेंगे, जिले से लेकर मंडल तक नई व्यवस्था लागू
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बीजेपी के बड़े नेता हर हफ्ते कार्यकर्ताओं का दुख दर्द सुनेंगे, जिले से लेकर मंडल तक नई व्यवस्था लागू

UP Politics: भारतीय जनता पार्टी में नई व्यवस्था लागू हुई है जिसके तहत बड़े नेता मंडल स्तर पर जिला अध्यक्षों से हर हफ्ते मुलाकात करेंगे. उनसे बात करके उनकी परेशानियों को समझेंगे.

 

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विशाल सिंह/लखनऊ: लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी की मिली करारी शिकस्त से उबरने के लिए बीजेपी में नई व्यवस्था लागू हुई है. इसके तहत अब हर हफ्ते मंडल अध्यक्ष जिला अध्यक्षों से मुलाकात करेंगे. मंडल  अध्यक्षों से मिलकर उनकी बात सुनी जाएगी और समस्याओं का निदान किया जाएगा. ये पार्टी में चल रहे अंतर्कलह को खत्म करने की बड़ी कवायद के रूप में देखा जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी की एक दिवसीय प्रदेश कार्यसमिति बैठक रविवार राजधानी लखनऊ के डा. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित होगी.

मंडल कार्य समिति की बैठक
बीजेपी की नई व्यवस्था के तहत मंडल अध्यक्ष भी शक्ति के दो  पदाधिकारी से संपर्क करेंगे. भाजपा की इसी महीने क्षेत्रीय कार्य समितियां की बैठक भी होगी. 30 जुलाई से पहले मोर्चो की कार्य समिति और 25 जुलाई से पहले जिला कार्य समितियां की बैठक आजोजित होगी. इसके बाद मंडल कार्य समिति की बैठक भी होगी.

संगठन सरकार से बड़ा- केशव प्रसाद मौर्य 
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है. केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि मैं 7 साल से उपमुख्यमंत्री हूं मगर मैं खुद को पहले भारतीय जनता पार्टी का नेता मानता हूं और उपमुख्यमंत्री बाद में.  मैं सभी वरिष्ठ नेताओं के सामने यह कहना चाहता हूं कि संगठन सरकार से बड़ा होता है. कार्यकर्ताओं का दरवाजा हमेशा खुला है. केशव प्रसाद मौर्य ने कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि निराश की गर्त से बाहर निकलो. 2024 की हार का बदला 2027 के विधानसभा चुनाव में लेंगे.

निकलकर आई बड़ी वजह
मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्षों की मुलाकात के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि लोकसभा चुनाव में यह बात निकल के सामने आई की मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्षों के बीच काफी मतभेद रहा चुनाव के दौरान और इसी वजह से पार्टी बूथ स्तर पर बहुत कमजोर हुई. अब जिला अध्यक्ष मंडल अध्यक्ष जब हफ्ते में एक बार मुलाकात करेंगे तो पार्टी के नीचे के नेताओं की समस्याओं के बारे में भी चर्चा होगी जो थाने और तहसील लेवल की होती है और फिर उस समस्या जिले लेवल पर  खत्म किया जाएगा. लोकसभा चुनाव की हार की समीक्षा के दौरान कार्यकर्ता की थाने और तहसील में सुनवाई न होने का जिक्र किया गया था. मंडल अध्यक्ष और शक्ति केंद्रों के बीच भी संवाद होगा ताकि इलाकेवार जातिगत समीकरण की रिपोर्ट आती रहे साथ ही पार्टी में कहीं बगावत तो नही हो रही इसका भी पता चलता रहे. मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष की मुलाकात से संगठन के कार्यक्रम भी तेजी से आगे बढ़ेंगे.

 

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