मेरठ मेट्रो की शुरुआत जल्द ही होने वाली है, और इसकी सभी ट्रेनें 100% स्वदेशी पार्ट्स से निर्मित हैं. इस परियोजना का लक्ष्य मेरठ के निवासियों के लिए एक तेज़, सुरक्षित, और आधुनिक परिवहन सेवा प्रदान करना है.
मेरठ मेट्रो का निर्माण "मेक इन इंडिया" पहल के तहत गुजरात के सावली में किया जा रहा है. इसका कॉन्ट्रैक्ट मेसर्स एल्सटॉम को दिया गया है, जो 15 साल तक रोलिंग स्टॉक के रखरखाव का जिम्मा भी संभालेगा.
मेरठ मेट्रो की अधिकतम गति 135 किमी प्रति घंटा और ऑपरेशनल गति 120 किमी प्रति घंटा होगी. यह ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) और ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन (ATO) सिस्टम से लैस होगी, जिसमें मॉडर्न फीचर्स जैसे एसी, आरामदायक सीटें, CCTV,और इंफोटेनमेंट सिस्टम शामिल हैं.
मेट्रो में यात्रियों के लिए एर्गोनॉमिक सीटें, सामान रखने के रैक, USB चार्जिंग, इमरजेंसी हेल्थ सर्विसेज, फायर सेफ्टी, और आपातकालीन एग्जिट की सुविधाएं होंगी. प्लेटफॉर्म स्क्रीन दरवाजे भीड़ को नियंत्रित करने में मदद करेंगे.
मेरठ मेट्रो एक ही कॉरिडोर पर दो तरह की ट्रेनें चलाने वाली देश की प्रथम पहल होगी. दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ RRTS के इंफ्रास्ट्रक्चर पर नमो भारत ट्रेनें और मेरठ मेट्रो एक साथ चलेंगी.
मेरठ मेट्रो के 13 स्टेशनों में से 4 स्टेशन RRTS से सीधे कनेक्ट होंगे. ये कनेक्टिविटी यात्रियों को मेरठ से दिल्ली आने-जाने में और भी अधिक सुविधा प्रदान करेगी.
मेरठ मेट्रो कॉरिडोर 23 किमी लंबा होगा, जिसमें कुल 13 स्टेशन होंगे. इनमें मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, डौरली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम, और मोदीपुरम डिपो शामिल हैं.
23 किलोमीटर की दूरी में से 18 किलोमीटर एलिवेटेड (जमीन के ऊपर) और 5 किलोमीटर भूमिगत सेक्शन होगा. इस रूट पर 9 एलिवेटेड और 4 भूमिगत स्टेशन होंगे, और यात्रा को 30 मिनट में पूरा किया जाएगा.
अभी तक 5 ट्रेन सेट की डिलीवरी हो चुकी है और बाकी ट्रेन सेट का निर्माण तेजी से चल रहा है. ये ट्रेनें स्टेनलेस स्टील से बनी हैं और रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के साथ कम ऊर्जा खपत करती हैं.
इस प्रोजेक्ट में NCRTC ने यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ETCS) लेवल 2 को हाइब्रिड लेवल 3 के साथ लागू किया है. यह सिस्टम लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन में काम करेगा, जिससे ऑपरेशनल सेफ्टी और एफिशिएंसी में वृद्धि होगी.