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Santan Prapti Ke Vrat: निसंतान की सूनी गोद भर देते हैं भगवान, ये छह व्रत कर लें तो मिलेगा संतान सुख का वरदान

Santan Prapti Ke Vrat: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, कई ऐसे व्रत हैं जो संतान प्राप्ति, उनकी लंबी आयु, स्वास्थ्य, सुरक्षा और खुशियों के लिए माताएं रखती हैं. ऐसा कहा जाता है कि इन व्रतों को रखने से पुत्र के मार्ग में आने वाली सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

 

छठ पूजा (chhath puja)

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छठ पूजा (chhath puja)

आस्था का महापर्व छठ कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन ये व्रत किया जाता है. छठी मईया और सूर्य देव के आशीर्वाद से जीवन में संतान पर कोई आंच नहीं आती . पहले दिन नहाय खाय, दूसरा खरना, तीसरे दिन छठ पूजा यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को देकर व्रत का पारण किया जाता है.

 

अहोई अष्टमी (Ahoi Ashthami)

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अहोई अष्टमी (Ahoi Ashthami)

कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी व्रत बच्चों के बेहतर स्वास्थ और सुखी जीवन के लिए किया जाता है. तारों को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया जाता है. 

 

संतान सप्तमी (Santan Saptami)

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संतान सप्तमी (Santan Saptami)

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी का व्रत किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसके प्रभाव से संतान प्राप्ति, समृद्धि और खुशहाली का वरदान प्राप्त होता है. 

पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi)

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पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi)

पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार मनाई जाती है एक पौष शुक्ल पक्ष में और दूसरी श्रावण शुक्ल पक्ष में.संतान को संकट से बचाने के लिए ये व्रत बहुत फलदायी है.

 

जितिया व्रत (Jitiya Vrat)

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जितिया व्रत (Jitiya Vrat)

अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत रखा जाता है, इसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है. 

 

स्कंद षष्ठी (Skanda Shashti)

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स्कंद षष्ठी (Skanda Shashti)

हर माह के  शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा की जाती है. ये दक्षिण भारत में प्रमुख व्रत में से एक है.