चाचा नेहरू के जीवन के ये तीन किस्से यादगार, हर किसी का दिल जीत लेते थे जवाहर
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चाचा नेहरू के जीवन के ये तीन किस्से यादगार, हर किसी का दिल जीत लेते थे जवाहर

Bal Diwal Special: बच्चों में चाचा नेहरू के नाम से मशहूर जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन 14 नवंबर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. उनके जन्मदिन के अवसर आपको सुनाते हैं उनके जिंदगी के कुछ वाकया जो रोचक होने के साथ-साथ आपको अच्छी सीख भी देंगे. 

चाचा नेहरू के जीवन के ये तीन किस्से यादगार, हर किसी का दिल जीत लेते थे जवाहर

Bal Diwal Special: 14 नवंबर का दिन देश के प्रथम प्रधानमंत्री और बच्चों के सबसे प्रिय जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. बताया जाता है कि चाचा नेहरू बच्चों को बहुत प्यार करते थे इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं. इस अवसर पर आपको सुनाते हैं नेहरु जी के जीवन के 3 ऐसे किस्से जो अनसुने और रोचक तो हैं ही आपको अच्छी सीख भी देंगे.

बचपन से जाना आजादी का मोल
पंडित जवाहरलाल नेहरू जब छोटे थे, तब उनके पिता मोतीलाल नेहरू ने एक तोता पाल रखा था, जिसकी देखभाल माली करता था. एक दिन नेहरू जी स्कूल से लौटे, तो उन्होंने देखा कि तोता पिंजरे में जोर-जोर से चिल्ला रहा था. नेहरू जी को लगा कि वह बाहर निकलना चाहता है. बिना कुछ सोचे-समझे, उन्होंने पिंजरे का दरवाजा खोल दिया, और तोता उड़कर पास के पेड़ पर जाकर बैठ गया. उसी समय माली वहां पहुंचा और नेहरू जी को डांटते हुए बोला, "मालिक नाराज होंगे!" नेहरू जी ने सरलता से उत्तर दिया, "पूरा देश आजादी चाहता है, तोते को भी आजादी चाहिए थी." यह घटना दर्शाती है कि नेहरू जी को बचपन से आजादी की समझ हो गई थी. 

जनता के प्रति विनम्रता
एक बार पंडित नेहरू कुंभ मेले में गए, जहां उनकी एक झलक पाने को लोग बेताब थे. तभी एक बूढ़ी महिला अचानक उनकी कार के सामने आई और गुस्से में चिल्लाई, "अरे जवाहर, कहां है आजादी? तुम जैसे बड़े लोगों को तो मिल गई, लेकिन हम गरीबों को कहां मिली?" नेहरू जी ने उसकी बात ध्यान से सुनी, फिर कार से उतरकर विनम्रता से बोले, "मां जी, देखिए, आप देश के प्रधानमंत्री को 'तू' कह रही हैं और खुलकर अपनी बात कह रही हैं. यही असली आजादी है." नेहरू जी की इस विनम्रता ने महिला का गुस्सा शांत कर दिया. इसके बाद नेहरू जी ने उसे आश्वासन दिया कि उसकी समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा.

नेहरू जी का विनोदी स्वभाव
नेहरू जी का व्यक्तित्व गंभीर होते हुए भी विनोदी था. एक बार एक बच्चे ने ऑटोग्राफ लेने के लिए उन्हें अपनी पुस्तिका दी. नेहरू जी ने उस पर हस्ताक्षर किए लेकिन तारीख नहीं लिखी. बच्चे ने उनसे तारीख लिखने का आग्रह किया, और नेहरू जी ने तारीख उर्दू अंकों में लिख दी. बच्चे ने कहा, "यह तो उर्दू में है!" इस पर नेहरू जी मुस्कुराए और बोले, "तुमने साइन अंग्रेजी में कहा तो अंग्रेजी में किए, तारीख उर्दू में मांगी तो उर्दू में लिख दी!" उनकी यह बात सुनकर सभी हंस पड़े. नेहरू जी का यह सहज और विनोदी स्वभाव उन्हें सबके दिलों में बसाए रखता था. 

इन छोटी-छोटी घटनाओं से नेहरू जी के व्यक्तित्व की गहराई, उनका आमजन के लिए प्रेम और आजादी के प्रति प्रेम की झलक मिलती है.

Disclaimer: लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी यूपीयूके की नहीं है.

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