रद्राक्ष की मालाओं के कारोबारियों की माने तो अगर भारत-नेपाल के रिश्ते खराब हुए तो उनका कारोबार खतरे में पड़ सकता है.
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वाराणसी: नेपाल और भारत के रिश्तों में आई खटास को देखते हुए वाराणसी में रुद्राक्ष की माला बनाने वाले कारोबारी चिंता में हैं. दरअसल, मोक्ष की नगरी काशी में रुद्राक्ष की माला की बड़ी डिमांड है और रुद्राक्ष नेपाल से आता है.
वैदिक संस्कृति में खास महत्व रखने वाला रुद्राक्ष नेपाल की हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है. जहां से कच्चे रुद्राक्ष को काशी लाया जाता है और फिर माला में पिरोह कर इसे देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाता है. लेकिन भारत-नेपाल के रिश्तों में आई तल्खी का असर सनातन संस्कृति की अनमोल धरोहर रुद्राक्ष पर भी दिखने लगा है. दोनों देशों के बीच रिश्तों में बढ़ ही खटास से रुद्राक्ष से जुड़े कारोबारी चिंतित हैं.
रद्राक्ष की मालाओं के कारोबारियों की माने तो अगर भारत-नेपाल के रिश्ते खराब हुए तो उनका कारोबार खतरे में पड़ सकता है. ऐसे में दोनों देशों को आपस में बैठकर मामले का हल निकालना चाहिए.
गौरतलब है कि, सनातन संस्कृति में रुद्राक्ष और रुद्राक्ष की मालाओं का अलग महत्व है. मान्यता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से गिरी जल की बूंदों से निर्मित है और जो भी व्यक्ति इसे धारण करता है, भगवान शिव की कृपा उस पर बनी रहती है.