Weekly Vrat Festivals List: इस सप्ताह के पहले दिन रक्षाबंधन समेत कजरी तीज, पूर्णिमा और जन्माष्टमी सहित कई व्रत त्योहार हैं जिनकी हिंदू धर्म में काफी महत्व बताया गया है.
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Weekly Vrat Festivals List: 19 अगस्त से शुरू हो रहे इस सप्ताह रक्षाबंधन, सावन मास की पूर्णिमा, सावन का आखिरी सोमवार, कजरी गायत्री जयंती, कजरी तीज और जन्माष्टमी समेत कई महत्वपूर्ण व्रत त्योहार हैं. आइये आपको विस्तार से बताते हैं 19 से 25 अगस्त के बीच इस सप्ताह पड़ने वाले त्योहारों की तारीख, महत्व, और पूजा का शुभ मुहूर्त.
रक्षा बंधन (19 अगस्त 2024)
रक्षा बंधन भाई-बहन के अटूट बंधन का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान इंद्र को असुरों से युद्ध में हार का सामना करना पड़ा, तब उनकी पत्नी शचि ने उनके हाथ में रक्षा सूत्र बांधा, जिससे वे युद्ध में विजयी हुए।
शुभ मुहूर्त: राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: प्रातः 07:15 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है. भद्रा रहित मुहूर्त में राखी बांधना शुभ माना जाता है/ इस वर्ष भद्रा 19 अगस्त की प्रातः 05:09 बजे समाप्त हो जाएगी.
गायत्री जयंती (19 अगस्त 2024)
गायत्री जयंती का पर्व मां गायत्री की पूजा और उपासना का दिन है. गायत्री माता को वेदों की माता माना जाता है, और इस दिन गायत्री मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने गायत्री देवी के रूप में अवतार लिया था.
शुभ मुहूर्त: गायत्री माता की पूजा का शुभ समय: प्रातः 07:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक है. गायत्री मंत्र का जाप दिन भर किसी भी समय किया जा सकता है, विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त में.
पूर्णिमा (19 अगस्त 2024)
हिंदू धर्म में पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन और व्रत किया जाता है. यह दिन पवित्रता, शुद्धता और धर्म के पालन का प्रतीक है. पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने और व्रत रखने का विशेष महत्व है. इस दिन शांति और समृद्धि की कामना की जाती है.
शुभ मुहूर्त: पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 18 अगस्त 2024 को रात 09:34 बजे होगा और समाप्ति: 19 अगस्त 2024 को रात 10:16 बजे होगी. सत्यनारायण पूजा का शुभ समय: प्रातः 09:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक है.
कजरी तीज (22 अगस्त 2024)
कजरी तीज पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं. यह पर्व शिव और पार्वती के मिलन का भी प्रतीक है. माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. इस दिन महिलाएं दिन भर व्रत रखती हैं और रात को चंद्रोदय के बाद व्रत खोलती हैं.
शुभ मुहूर्त: पूजा का शुभ समय: दोपहर 01:30 बजे से शाम 05:00 बजे तक है.
हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी (22 अगस्त 2024)
इस दिन भगवान गणेश की पूजा करके समस्त विघ्नों और बाधाओं को दूर किया जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश ने संकटों से उबारने वाले देवता के रूप में प्रकट होकर सभी का कल्याण किया था.
शुभ मुहूर्त: गणेश पूजा का शुभ समय: शाम 06:00 बजे से रात 09:00 बजे तक है.
कृष्ण जन्माष्टमी (26 अगस्त 2024)
यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और उनकी अद्भुत और दिव्य लीलाओं का स्मरण कराता है. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में कंस के कारागार में हुआ था.
शुभ मुहूर्त: अष्टमी तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त 2024 को रात 11:54 बजे से है और समाप्ति 26 अगस्त 2024 को रात 01:12 बजे है. पूजा का शुभ समय: रात 11:30 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा.
कालाष्टमी (26 अगस्त 2024)
कालाष्टमी का पर्व भगवान कालभैरव की पूजा के लिए मनाया जाता है. इस दिन भगवान कालभैरव की आराधना करने से समस्त भय, पाप और दोषों का नाश होता है. भगवान कालभैरव को शिव के रुद्र रूप का अवतार माना जाता है. कालभैरव की पूजा रात के समय अधिक फलदायी मानी जाती है.
शुभ मुहूर्त: पूजा का शुभ समय: रात 08:00 बजे से रात 11:00 बजे तक रहेगा.
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