हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है. मृत्यु के बाद परिवार के लोग उसकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं. पितरों के श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है. माना जाता है कि पितरों की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है.
भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है, जिसका समापन अश्विन अमावस्या के दिन होता है. इन 16 दिन में पितरों का श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है.
पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए पूजा पाठ और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. माना जाता है कि पितरों की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है.
भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है, जिसका समापन अश्विन अमावस्या के दिन होता है. इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सिंतबर 2024 से हो चुकी है. 2 अक्टूबर 2024 को इसका समापन होगा.
लेकिन जिन लोगों के बेटे नहीं हैं, उनका श्राद्ध कौन करता है. बेटे न होने पर कोई और व्यक्ति का श्राद्ध कर्म कर सकता है या नहीं. आइए जानते हैं इसको लेकर क्या नियम हैं.
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक श्राद्ध करने का पहला अधिकार बड़े पुत्र का होता है. अगर बड़ा बेटा इस दुनिया में नहीं है या किसी कारणवश श्राद्ध करने में असमर्थ है तो छोटा बेटा श्राद्ध कर सकता है.
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक श्राद्ध का अधिकार केवल पुत्र को होता है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति का पुत्र नहीं है तो उसकी पत्नी श्राद्ध कर सकती है.
इसके अलावा भाई का पुत्र यानि भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है. यदि इनमें से कोई नहीं है और परिवार में केवल बेटी है तो पुत्री का बेटा यानि नाती भी श्राद्ध कर सकता है.
पितृ पक्ष का पहला श्राद्ध आज यानी 17 सितंबर को है. इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि को होती है. इस दिन पितरों को तर्पण और पिंड दान दिया जाता है.
श्राद्ध पक्ष के दौरान शुभ काम करना वर्जित माना जाता है. साथ की खान-पान आदि का भी विशेष ख्याल रखना होता है.
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