Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में है पंचबली का खास महत्व है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में पंचबली का खास महत्व बताया गया है. हमारे पितृ पशु पक्षियों के माध्यम से हमारे निकट आते हैं और गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी के माध्यम से पितृ आहार ग्रहण करते हैं.
भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से लेकर अश्वनि की अमावस्या तक का समय श्राद्ध व पितृ पक्ष कहलाता है. इन 16 दिनों में पितरों को खुश कराने के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है. इसके साथ ही पंचबलि यानी गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चीटियों को भोजन सामग्री दी जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष की शुरुआत भले ही 17 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा से हो रही लेकिन इस दिन श्राद्ध नहीं किया जाएगा. 17 सितंबर यानी मंगलवार को भाद्रपद पूर्णिमा का श्राद्ध है और पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म के कार्य प्रतिपदा तिथि से किए जाते हैं. पूर्णिमा तिथि के श्राद्ध को ऋषि तर्पण भी कहा जाता है. पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म के कार्य प्रतिपदा तिथि से होते हैं. ऐसे में 18 सितंबर से पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, तर्पण, दान आदि कार्य आरंभ हो जाएगा.
कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है, चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं. इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं.
पितृ पक्ष में इसके लिए सबसे पहला भोजन गायों के लिए निकाला जाता है. जिसे गो बली के नाम से भी जाना जाता है. केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं. इसलिए पितृ पक्ष में गाय की सेवा विशेष होती है.
पंचबली का एक भाग कुत्तों को खिलाया जाता है. कुत्ता यमराज का पशु माना गया है, श्राद्ध का एक अंश इसको देने से यमराज प्रसन्न होते हैं. जिसे श्वानबली कहा जाता है.
तीसरा भोजन कौवे के लिए निकाला जाता है, जिसे काक बलि कहते हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार, कौवा यम का प्रतीक होता है. कौओं को पितरों का स्वरूप भी माना जाता है
चौथा भोजन देवताओं के लिए निकाला जाता है. देवताओं को भोजन देने के लिए देवादिबलि की जाती है. इस हिस्से को या तो जल में प्रवाहित कर दिया जाता है या गाय को खिला दिया जाता है. देवताओं को भोजन देने के लिए इसमें पंचबली का एक भाग अग्नि को दिया जाता है जिससे ये देवताओं तक पहुंचता है.
पांचवां और अंतिम बलि चीटियों का होता है. इसी प्रकार पंचबली का एक हिस्सा चींटियों के लिए उनके बिल के पास रखा जाता है। इस तरह चीटियां और अन्य कीट भोजन के एक हिस्से को खाकर तृप्त होते हैं
पितृ दोष पितरों के रुष्ट होने पर बनता है. यह दोष एक तरफ कुंडली के सारे राजयोग, दूसरी तरफ फिर भी पितृदोष ही भारी पड़ता है. हमारे पितर नाराज हो जाते हैं, उनको मनाने के लिए हम इन दिनों कर्म करते हैं.
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