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Ashadha Amavasya 2024: पूर्वज हैं नाराज तो अमावस्या पर इस विधि से करें पितृ तर्पण, आशीर्वाद देने चले आएंगे पितर

 आषाढ़ अमावस्या के दिन पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना बेहद शुभ माना जाता है. साथ ही पवित्र नदी में स्नान करने के बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न वस्त्र और धन आदि चीजों का दान किया जाता है.      

Ashadha Amavasya 2024

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 Ashadha Amavasya 2024

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है. अमावस्या तिथि को श्री हरि और मां लक्ष्मी के पूजन के लिए बहुत फलदायी माना गया है.अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है.

 

हवन-अनुष्ठान करने का महत्व

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हवन-अनुष्ठान करने का महत्व

शास्त्रों में बताया गया है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन जहां एक ओर हवन-अनुष्ठान करने का बहुत महत्व है तो वहीं, इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण या श्राद्ध कर्म करने का भी विशेष स्थान मौजूद है.

कब है अमावस्या तिथि

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कब  है अमावस्या तिथि

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 05 जुलाई 2024 को सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 06 जुलाई को 04 बजकर 26 मिनट पर होगा. आषाढ़ अमावस्या पांच जुलाई को मनाई जाएगी.

 

अमावस्या पर पितरों का तर्पण

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अमावस्या पर पितरों का तर्पण

अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है. इसके  साथ ही पवित्र नदी में स्नान करने के बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न वस्त्र और धन आदि चीजों का दान किया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है और हमारे पूर्वज खुश होते हैं.

 

पितरों का श्राद्ध और तर्पण

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  पितरों का श्राद्ध और तर्पण

धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या के दिन पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना बेहद शुभ माना जाता है.  इस लेख में जानते हैं पितरों का तर्पण और पिंडदान विधि के बारे में.

 

पूजा विधि

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पूजा विधि

आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवताओं के ध्यान से करें.  इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें. अगर न जा पाएं तो स्नान करने के पानी में गंगाजल डाल लें

पितरों को जल अर्पित

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पितरों को जल अर्पित

एक लोटे में जल, फूल और तिल डालें. इसके बाद सच्चे मन से पितरों को जल अर्पित करें. मंत्रों का जप और पितृ चालीसा का पाठ करें. नीचे दिए गए मंत्रों को पढ़ें

पितृ के मंत्र

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पितृ के मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात। ॐ पितृ देवतायै नम:। ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्। ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

 

गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं

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गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं

दोपहर में पितरों को धूप देने के लिए गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और धुआं निकलना बंद होने के बाद  आंच पर गुड़-घी डालकर धूप दें. हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें.  इस दौरान आप पितरों का ध्यान करें.

 

पितरों के लिए धूप-ध्यान

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पितरों के लिए धूप-ध्यान

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, अमावस्या पर देवी-देवताओं की पूजा-पाठ करने के साथ ही दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान भी करना चाहिए.

 

गंगाजल मिलाकर स्नान

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गंगाजल मिलाकर स्नान

अमावस्या पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए.  इसके बाद सूर्यदेव को तांबे के लोटे में जल भरें और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र जपते हुए जल चढ़ाएं.

 

देवी लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा

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देवी लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा

अमावस्या तिथि पर सूर्यास्त के बाद भी घर के मंदिर में देवी लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए.  सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें.

 

मंत्रों का जाप

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मंत्रों का जाप

ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते रहें. देवी लक्ष्मी के मंत्र ऊँ महालक्ष्म्यै नम: का भी जप करें.  मिठाई का भोग लगाएं.  धूप-दीप जलाएं और आरती करें

 

Disclaimer

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 Disclaimer

यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.