लैंसडाउन का उत्तराखंड का छुपा हुआ रत्न कह सकते हैं क्योंकि इसके बारे में बहुत ज्यादा लोगों को पता नहीं हैं. लेकिन यहां कमाल की प्राकृतिक सुंदरता है.
1700 मीटर की ऊंचाई पर यह लैंसडाउन का सबसे ऊंचा स्थान है, जहां से आप हिमालय के मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं. यह मुख्य शहर से करीब 1.5 किलोमीटर दूर है
यह 300 वर्ग किलोमीटर में फैला है. जहां सैलानी बाघ, हाथी, गोरल, सांभर, काकड़, साही और पाढ़ा जैसे वन्यजीवों की झलक देख सकते हैं , इसके अलावा यहां औषधीय पौधों और विभिन्न प्रकार के सरीसृप की प्रजातियां हैं.
यह एक ऐतिहासिक चर्च है जो 1880 में अंग्रेजों द्वारा बनवया गया था, जो भारत सरकार को 1951 में सौंपा गया. इसकी कोई एंट्री फीस नहीं हैं आप यहां सुबह 8 से शाम के 5 बजे की बीच जा सकते हैं.
यहां दो विशाल पत्थर हैं जो अपनी अपनी आकृति के लिए प्रसिद्ध हैं. ये पत्थर एक के ऊपर एक रखे हैं. लैंसडाउन शहर के केंद्र से 2 किमी की दूरी पर स्थित, भीम पकौड़ा लैंसडाउन की सबसे रोमांचक और आकर्षक जगहों में से एक है.
आप अगर सर्दियों में यहां जाएंगे तो आपको यहां से हिमालय की बर्फ से लकदक चोटियां दिखाई देंगी. सर्दियां के मौसम यह नजारा किसी स्वर्ग से कम नहीं नजर आता है.
लैंसडाउन में कई ट्रेकिंग ट्रेल्स हैं, कई कैंपिंग स्थल हैं जहां आप दोस्त और परिवार के साथ प्राकृतिक वातावरण का आनंद ले सकते हैं. इसके अलावा यहां भुलताल झील में बोटिंग और मछली पकड़ने का शौक भी पूरा कर सकते हैं.
आप ताड़केश्वर धाम मंदिर भी घूमने जा सकते हैं यह लैंसडाउन से 38 किलोमीटर दूर है और करीब 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. देवदार के पेड़ यहां का शांत वातावरण एक अलग ही दुनिया का अनुभव कराता है.
लैंसडाउन घूमने जाने का सबसे अच्छा समय मई से सितंबर के बीच होता है. इस दौरान यहां का मौसम बेहद सुहाना और तापमान 10 डिग्री 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है.
लैंसडाउन में पर्यटकों के ठहरने के लिए सभी तरह के विकल्प हैं. यहां आपको लक्जरी होटल से लेकर बजट कॉटेज तक सभी तरह की ठहरने की जगह मिल जाएंगी.
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