उत्तराखंड के पहले अरबपति का नाम दान सिंह बिष्ट था. दान सिंह बिष्ट अकूत संपत्ति के मालिक थे.
दान सिंह बिष्ट की संपत्ति के निशान नेपाल तक मिले हैं. यही वजह रही कि उनका नाम 'मालदार' भी पड़ गया.
दान सिंह 'मालदार' का बचपन गरीबी में बीता था, लेकिन अपने संघर्ष से उन्होंने उत्तराखंड में बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया.
दान सिंह मालदार के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कई गांव तक खरीद लिए थे. इसके साथ ही कई शहरों की रजवाड़ों की रियासत तक खरीद ली थी.
दान सिंह मालदार के अंग्रेज भी कायल थे. उनका व्यापार जम्मू कश्मीर से लाहौर तक और पठानकोट से वजीराबाद तक फैला था.
उत्तराखंड के पिथौरागढ़, टनकपुर, हल्द्वानी, नैनीताल जिले और असम व मेघालय में उनकी सम्पत्ति थी.
दान सिंह 'मालदार' लकड़ी के कारोबार में उतरे और‘टिम्बर किंग ऑफ इंडिया’ बन गए.
उनके बाग में लगाए चाय की महक यूरोप तक फैली. दान सिंह ने उत्तराखंड में बच्चों को शिक्षा के लिए कई स्कूल खुलवाए.
वह मूल रूप से नेपाल के बैतड़ी जिले के रहने वाले थे, लेकिन बाद में वह पिथौरागढ़ के क्वीतड़ गांव में आकर बस गए.
सिर्फ 12 साल की उम्र में ही वह लकड़ी का कारोबार करने वाले एक ब्रिटिश व्यापारी के साथ बर्मा चले गए.
बर्मा से लौटने के बाद उन्होंने पिता के साथ घी बेचने का काम किया. इसके बाद जो पैसा कमाया उसे चाय की बगान खरीद ली.
बताया जाता है किक दान सिंह साल 1945 में मुरादाबाद के राजा गजेन्द्र सिंह की जब्त हुई संपत्ति 2,35,000 रुपये में खरीदी. इसके बाद वह चर्चा में आ गए थे.
10 सितंबर 1964 को दान सिंह मालदार का निधन हो गया. दान सिंह बिष्ट का कोई बेटा नहीं था.