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गर्मियों में करें देवभूमि उत्तराखंड के इन 10 प्राचीन मंदिरों के दर्शन, केदारनाथ-बद्रीनाथ की भीड़ से दूर

उत्तराखंड में हिंदू आस्था के प्रतीक कई मठ और मंदिर है. यहां मां दुर्गा के भी कई स्वरूप 'शक्ति पीठों' के रूप में विराजमान है. इसके अलावा ज्यादातर भगवान शिव के मंदिर मिलेंगे. मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी होती है.

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अगर आप देवभूमि के नाम से मशहूर उत्तराखंड आ रहे हैं तो आपको कई प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा.य यहां प्रकृति की खूबसूरती के साथ ही शांति का अनुभव भी आप कर पाएंगे. इस रिपोर्ट के जरिए आइए जानते हैं देवभूमि के 10 प्रसिद्ध मंदिर के बारे में.

अंग्यारी महादेव मंदिर

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अंग्यारी महादेव मंदिर

अंग्यारी महादेव मंदिर चमोली और बागेश्वर जिले की सीमा पर है. ये पवित्र मंदिर चमोली जिले के ग्वालादम क्षेत्र में स्थापित है. तीर्थयात्री तलवाड़ी, ग्वालादम या गैरसैंण के रास्ते यहां पहुंच सकते हैं. सावन के महीने में यहां कई तीर्थयात्री आते हैं.

अनुसूया देवी मंदिर

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अनुसूया देवी मंदिर

उत्तराखंड के चमोली जिले की मंडल घाटी के ऋषिकुल पर्वत पर अनुसूया मंदिर स्थित है. मंदिर के गर्भगृह में माता की भव्य मूर्ति स्थापित है. माना जाता है कि इस मंदिर में मां अनुसूया देवी के पूजन से महिलाओं की सूनी गोद भरती है.

बधाणगढ़ी मंदिर

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बधाणगढ़ी मंदिर

बधाणगढ़ी मंदिर काली को समर्पित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है, जिसे मां दक्षिणेश्वर काली या भगवती के रूप में पूजा जाता है. ये उत्तराखंड के चमोली गढ़वाल जिले की थराली तहसील में स्थित है. ये मंदिर लगभग 2260 मीटर की ऊंचाई पर है.

बागनाथ मंदिर

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बागनाथ मंदिर

देवभूमि उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में बागनाथ एक पौराणिक मंदिर है. ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. चंद वंश के राजाओं का बागनाथ मंदिर से अटूट रिश्ता रहा है. मंदिर की मूर्तियां पुरातात्विक महत्व की हैं.

बैजनाथ मंदिर

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बैजनाथ मंदिर

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले में स्थित बैजनाथ धाम लाखों-करोड़ों हिन्दुओं के आस्था का बड़ा केन्द्र है. यहां हर साल श्रद्धालुओं के साथ देशी-विदेशे से पर्यटक बड़ी तादाद में पहुंचते हैं. बैजनाथ का पौराणिक नाम बैद्यनाथ बताया जाता है. मंदिर को अब कृत्रिम झील ने चार चांद लगा दिए हैं.

बैरासकुंड महादेव

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बैरासकुंड महादेव

मान्‍यता है कि बैरासकुंड में त्रेता युग में रावण ने भगवान शंकर की उपासना की थी और हवन कुंड में अपने नौ सिरों की आहुति दी थी. जबकि अलकनंदा और नंदाकिनी के संगम स्थल नंदप्रयाग से 20 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद नैसर्गिक सौंदर्य के बीच बसे बैरासकुंड मंदिर पहुंचा जा सकता है.

भैरव मंदिर

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भैरव मंदिर

उत्तराखंड के नैनीताल में भगवान भैरव का ये मंदिर शहर में पहाड़ों पर स्थित है. इस मंदिर को यहां के स्थानीय भक्त इन्हें गोलू देवता के नाम से जानते हैं. माना जाता है कि भक्त अपनी मनोकामना के लिए यहां चिठ्ठियों में अपनी परेशानियां लिखते हैं. मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं.

बुद्धा मंदिर

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बुद्धा मंदिर

देहरादून के क्लेमेनटाउन में स्थित बुद्धा टेंपल देश-विदेश के पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है. इसको मिंड्रोलिंग मोनेस्ट्री के नाम से भी जाना जाता है. इसका निर्माण 1965 में शुरू हुआ था. यहां भगवान बुद्ध के साथ ही गुरु पद्मसंभव की विशाल प्रतिमाएं हैं.

चंडिका देवी मंदिर

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चंडिका देवी मंदिर

पिथौरागढ़ जिले के उत्तर दिशा में मां चंडिका घाट मंदिर है. इसे मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है. यहां लोग न्याय मांगने के लिए देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब किसी के साथ हुए अत्याचारों का न्याय उन्हें नहीं मिल पाता है तो मां चंडिका उन्हें न्याय दिलाती है.

धारी देवी मंदिर

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धारी देवी मंदिर

उत्तराखंड के श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर है. कहा जाता है कि मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है. मूर्ति सुबह कन्या की तरह, दोपहर में युवती और शाम को बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है. मंदिर झील के ठीक बीचों-बीच है. ऐसा कहा जाता है कि मां धारी उत्तराखंड के चारधाम की रक्षा करती हैं.