लखनऊ में ऐशबाग की फेमस रामलीला सबसे पुरानी रामलीलाओं में से एक है. ऐशबाग की रामलीला के बारे में कहा जाता है कि खुद तुलसीदास ने इसकी शुरुआत की थी.
मानी जाती है की ऐशबाग की रामलीला 500 साल पुरानी है. तुलसीदास इस रामलीला का निर्देशन किया था. लखनऊ के साथ तुलसीदास ने चित्रकूट और वाराणसी में भी रामलीला की शुरुआत की थी.
मान्यता है कि लखनऊ के ऐशबाग की वर्षों पुरानी रामलीला को असली पहचान अवध के नवाब असफउद्दौला ने दी थी.
कहा जाता है कि शुरुआत में रामलीला की जगह रामकथा का मंचन किया जाता है. इसमें अयोध्या के साधु-संत भी रामकथा मंचन में भाग लेते थे.
ऐशबाग की सबसे पुरानी रामलीला में भगवान श्रीराम के पूरे जीवन की एक नाटकीय प्रस्तुति दी जाती है. इसे देखने के लिए भारी भीड़ जुटती है.
10 दिनों तक रामलीला का मंचन होने के बाद विजयदशमी मनाई जाती है. इस दिन रावण दहन किया था. रावण दहन पर भी खास व्यवस्था की जाती है.
ऐशबाग की रामलीला का मंचन के लिए देश के कोने-कोने से कलाकार आते हैं. 250 से ज्यादा कलाकार रामलीला में अभिनय करने के लिए लखनऊ आते हैं.
ऐशबाग की रामलीला के मंचन के लिए कोलकाता के अनुभव कलाकारों को भी बुलाया जाता है. यहां पर उस समय दुर्गा पूजा भी चलती रहती है.
ऐशबाग रामलीला में पिछले कई वर्षों से रावण का किरदार शंकर पाल निभा रहे. शंकर पाल हर बार अपने किरदार में कुछ नया करने की कोशिश करते रहे.
कहा जाता है कि ऐशबाग की रामलीला देखने नवाब आसफुद्दौला अपने मंत्रियों के साथ यहां आया करते थे. इसके बाद उन्होंने ऐशबाग रामलीला के नाम करीब साढ़े छह एकड़ जमीन दान में दे दी.