आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी आती है, जिसके बाद भगवान विष्णु 4 महीने के लिए शयन करते हैं. इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.
हरी पत्तेदार सब्जियां, बैंगन, मसूर दाल, गोभी, लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा, मछली का सेवन नहीं करना चाहिए. गंध युक्त चीजों का सेवन भी कम करना चाहिए, ताकि मन संयमित रहे.
आषाढ़ मास का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है इसलिए दान-पुण्य का विशेष महत्व है. जलदान, अन्नदान, वस्त्रदान और गरीबों की सेवा करनी चाहिए.
भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने के चलते इस महीने बुरी शक्तियों हमारे मन और विचारों पर ज्यादा प्रभार डाल सकती हैं इसलिए इस महीने वाणी पर संयम रखते हुए गाली-गलौज, झूठ बोलना और निंदा आदि नहीं करना चाहिए.
आषाढ़ मास में अक्सर बरसात का मौसम शुरू हो जाता है और जलदेवता की पूजा की जाती है. इसलिए इस महीने जल का अपमान न करें. जल बर्बाद न करें और उसका दान करें.
क्योंकि इस महीने असुरी और दानवीय शक्तियां ज्यादा प्रभावी हो जाती हैं इसलिए क्रोध, अहंकार, घमंड और दूसरो का अपमान नहीं करना चाहिए क्योंकि इनके परिणाम बुरे ही होते हैं.
हिंदू धर्म में आषाढ़ मास को पूजा-पाठ और संयम का महीना बताया गया है और इस महीने पूजा-पाठ का जल्दी फल मिलता है. इसलिए इस दौरान भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी की पूजा करें और जप, ध्यान, स्मरण करें.
इस महीने जुआ, बुरी आदतों से दूर रहते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, धार्मिक ग्रंथों रामायण, श्रीमद्भागवत आदि का पाठ करना चाहिए. इसके अलावा पशु-पक्षी और गाय आदि की सेवा करनी चाहिए.
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