UP upchunav 2022: खतौली में दो बाहुबलियों का मुकाबला, दिलचस्प होगी 32 केस झेलने वाले मदन भैया और मुजफ्फरनगर दंगे के दोषी विक्रम सैनी के बीच जंग
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UP upchunav 2022: खतौली में दो बाहुबलियों का मुकाबला, दिलचस्प होगी 32 केस झेलने वाले मदन भैया और मुजफ्फरनगर दंगे के दोषी विक्रम सैनी के बीच जंग

UP upchunav 2022: खतौली विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और रालोद (RLD) मदन भैया (Madan Bhaiya) को प्रत्याशी बनाकर नया समीकरण साधने का प्रयास कर रहे हैं.....

 

 

 

 

UP upchunav 2022: खतौली में दो बाहुबलियों का मुकाबला, दिलचस्प होगी 32 केस झेलने वाले मदन भैया और मुजफ्फरनगर दंगे के दोषी विक्रम सैनी के बीच जंग

UP By-Election 2022: भारतीय जनता पार्टी ने मैनपुरी लोकसभा सीट, रामपुर और खतौली व‍िधानसभा सीट पर पांच द‍िसंबर को होने वाले उपचुनाव के उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी लोकसभा सीट से रघुराज शाक्य, रामपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव में आकाश सक्सेना और मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से राजकुमारी सैनी को टिकट द‍िया है.

उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा उपचुनाव (Khatauli Bypoll) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) गठबंधन से रालोद (RLD) ने उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया है. आरएलडी ने यहां गुर्जर कार्ड खेलते हुए पूर्व विधायक और बाहुबली नेता मदन भैया (Madan Bhaiya) को प्रत्याशी घोषित किया. वहीं बीजेपी  ने विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी को मैदान  में उतारा है.

इसके लिए आरएलडी ने जाट, मुस्लिम और गुर्जर समीकरण पर भरोसा दिखाया है. मदन भैया के जरिए पार्टी खतौली में 2012 के समीकरण को दोहराना चाहती है. 2012 में करतार सिंह भड़ाना विधायक बने थे. जबकि पार्टी ने 2017 में शाहजावज राणा और 2022 में राजपाल सैनी पर दांव लगाया था. लेकिन इन दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा. रालोद अब गुर्जर कार्ड के सहारे खतौली का रण जीतना चाहती है.

कौन हैं रालोद प्रत्याशी मदन भैया?
मदन भैया अपने पढ़ाई के दौरान ही दबंग छवि के साथ उभरने लगे थे. 1989 में  जेल में रहते हुए उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव खेकड़ा सीट से लड़ा था तब सभी राजनीतिक दल उनको हलके में ले रहे थे. इस चुनाव में मदन भैया की हार जरूर हुई, मगर दूसरे स्थान पर रहकर उन्होंने सभी को चौका दिया था. साल 1991 का विधानसभा चुनाव वह फिर जनता दल के टिकट पर में खेकड़ा सीट से लड़े. इस बार भी उन्होंने जेल से चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से लोकदल के प्रत्याशी रिछपाल बंसल को हरा दिया.

एक नजर इनके राजनीतिक करियर पर...
साल 1993 के विधानसभा चुनाव में फिर वे खेकड़ा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और समाजवादी के टिकट पर चुनाव लड़कर फिर से जीत दर्ज की.
वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा प्रत्याशी रूप चौधरी ने शिकस्त देकर सभी को चौका दिया था. साल 2002 के चुनाव में मदन भैया ने रूप चौधरी को हराकर अपनी राजनीतिक विरासत पर फिर से कब्जा कर लिया. साल 2007 का चुनाव वे खेकड़ा विधानसभा सीट से ही रालोद के टिकट पर लड़े और चौथी बार अपनी जीत दर्ज की. 2012 का चुनाव नए परिसीमन से हुआ और खेकड़ा सीट समाप्त होकर लोनी सीट अस्तित्व में आ गई. यहां से मदन भैया की राजनीतिक पकड़ को ग्रहण लगया शुरू हो गया. 2012 का चुनाव वे लोनी सीट से रालोद के टिकट पर लड़े और बसपा के जाकिर अली से चुनाव हार गए. वर्ष 2017 और इस साल हुए विधानसभा चुनाव में मदन भैया ने लोनी सीट से फिर चुनाव लड़ा, मगर दोनों ही बार वे भाजपा के नंद किशोर गुर्जर से चुनाव हार गए.

मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है खतौली विधानसभा सीट
खतौली विधानसभा सीट मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. यहां पर 2019 के लोकसभा चुनाव में संजीव बालियान ने आरएलडी के चौधरी अजीत सिंह को हरा दिया था.

मुजफ्फरनगर जिले के अंतर्गत कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं
मुजफ्फरनगर सदर
पुरकाजी
चरथावल
बुढ़ाना
खतौली
मीरापुर

तहसील है खतौली विधानसभा सीट

मुजफ्फरनगर से करीब 25 किलोमीटर दूर खतौली विधानसभा सीट एक तहसील है.
यहां का जैन मंदिर काफी खूबसूरत है, साथ ही यहां एक विशाल सराय भी है, जिसका निर्माण शाहजहां ने करवाया था. शहर का नाम पहले खित्ता वली था, जिसे बाद में खतौली रखा गया. यहां त्रिवेणी शुगर मिल भी है, जो एशिया की सबसे बड़ी शुगर मिल में से एक है.

ये है खतौली विधानसभा का अब तक का चुनावी इतिहास
इस विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) को दो बार जीत मिली है. इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय क्रांति दल, जनता पार्टी, कांग्रेस, लोक दल, जनता दल, भारतीय किसान कामगार पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों ने इस सीट से एक-एक बार जीत हासिल की है. साल 1967 में खतौली विधानसभा से सीपीआई के सरदार सिंह विधायक चुने गए थे. इसके बाद बीकेडी के टिकट पर वीरेंद्र वर्मा, 1974 में लक्ष्मण सिंह, 1980 में कांग्रेस इंदिरा से धर्मवीर सिंह, 1985 में लोकदल से हरेंद्र सिंह, 1989 में जनता दल से धर्मवीर बालियान, 1991 व 1993 में भाजपा के टिकट पर सुधीर बालियान, बीकेडी के टिकट 1996 और रालोद के टिकट पर 2002 में राजपाल बालियान, 2007 में बसपा के योगराज सिंह, 2012 में रालोद के करतार भड़ाना और 2017 और 2022 में भाजपा के विक्रम सैनी विधायक चुने गए.

साल 1993 में चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत और भाकियू उनके विरोध में रही थी. साल 2007 में राकेश टिकैत खुद चुनाव में उतर गए लेकिन उनके धुर विरोधी रहे योगराज सिंह ने जीत दर्ज की और वह चौथे स्थान पर रहे.

ये है खतौली का जातीय समीकरण
इस सीट पर गुर्जर और सैनी समाज का दबदबा है. इस सीट पर करीब 3 लाख मतदाता हैं, जिनमें 27 फीसदी मुस्लिम 73 फीसदी हिंदू मतदाता है. 80 हजार के करीब मुस्लिम वोटर हैं, जो निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. वहीं 40 हजार दलित मतदाता है. सैनी समुदाय के 35 हजार वोट हैं तो जाट 27 हजार है और गुर्जर भी करीब 29 हजार है. साथ ही ब्राह्मण 12 हजार और राजपूत वोट 5 हजार है और 10 हजार कश्यप वोटर हैं.

मदन भैया पर 32 मुकदमे दर्ज

यूपी पुलिस के अनुसार, 1990 के दशक के उत्तरार्ध से 62 वर्षीय के खिलाफ 32 मामले दर्ज किए गए थे, जो राज्य के तीन जिलों में फैले थे. गाजियाबाद में 16, बागपत में पांच, मेरठ में तीन और साथ ही दिल्ली में आठ केस दर्ज.

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