यूपी निकाय चुनाव: आरक्षण से हो गया खेला! महराजगंज में कई भावी प्रत्याशियों की उम्मीदों पर फिरा पानी
Advertisement

यूपी निकाय चुनाव: आरक्षण से हो गया खेला! महराजगंज में कई भावी प्रत्याशियों की उम्मीदों पर फिरा पानी

Maharajganj Nikay Election 2022:  यूपी निकाय चुनाव में अध्यक्ष पद के आरक्षण की सूची जारी हो चुकी है, जिसके बाद से महराजगंज जिले में भी सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. आरक्षण की घोषणा के बाद कई भावी उम्मीदवारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. 

यूपी निकाय चुनाव: आरक्षण से हो गया खेला! महराजगंज में कई भावी प्रत्याशियों की उम्मीदों पर फिरा पानी

अमित त्रिपाठी/महाराजगंज: यूपी में नगर निकाय चुनाव को लेकर अध्यक्ष पद के आरक्षण के ऐलान के बाद से नेपाल बार्डर से सटे जिला महराजगंज के शहरी क्षेत्रों में सियासी पारा सर्द मौसम में गर्म हो गया है. आरक्षण की घोषणा से कई चेहरे खुशी से खिल उठे. सोशल मीडिया पर आरक्षण के हिसाब से संभावित प्रत्याशियों ने अपनी दावेदारी पेश कर दी है. वहीं कईयों के उम्मीदों पर आरक्षण ने पानी फेर दिया. खास बात यह है कि इस बार छह नगर निकायों की कमान महिलाओं के हाथ में सौंप दी गई है. महिलाएं ही इन नगर निकायों में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगी. 

11 नगर निकायों में 10 आरक्षित
नगर निकाय के लिए जारी आरक्षण की सूची पर गौर करें तो जिले के 11 नगर निकायों में से 10 के लिए आरक्षण की घोषणा की गई है. सिसवा नगर पालिका का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है. जिन 10 नगर निकायों में आरक्षण का ऐलान किया गया है, उसमें नगर पालिका परिषद नौतनवा, नगर पंचायत घुघली, नगर पंचायत परतावाल, नगर पंचायत बृजमनगंज, नगर पंचायत पनियरा व नगर पंचायत निचलौल में अध्यक्ष का पद महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है.

नगर पालिका महाराजगंज 
नगर पालिका महराजगंज पिछले चुनाव में आरक्षण पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था, भाजपा नेता कृष्ण गोपाल जायसवाल ने भारी मत से चुनाव में जीत दर्ज की थी. इस बार भी कयास लगाया जा रहा था कि पिछड़ा वर्ग के लिए ही आरक्षण घोषित होगा. लेकिन इस बार आरक्षण अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया.आरक्षण की घोषणा होते ही कई दावेदार अध्यक्ष पद के चुनाव की रेस से बाहर हो गए. 

सोनौली नगरपंचायत
इंडो-नेपाल बार्डर पर स्थित अंतर्राष्ट्रीय महत्व के शहर नगर पंचायत सोनौली में अध्यक्ष पद का आरक्षण पिछले चुनाव में भी अनारक्षित था. इस बार भी अनारक्षित है. पिछली बार सुधीर त्रिपाठी की पत्नी कामना त्रिपाठी चुनाव लड़ी थीं. पति के जुझारू व्यक्तित्व के चलते चुनाव जीत गईं. कोरोना काल में पति सुधीर त्रिपाठी के निधन के बाद भी कामना त्रिपाठी सोनौली में विकास कार्यों को योजना के मुताबिक आगे बढ़ाईं.

इस बार वहां का अध्यक्ष पद अनारक्षित हुआ है. खास बात यह है कि जिले के सभी नगर निकायों में सोनौली नगर पंचायत ही इकलौता ऐसा निकाय है जहां सामान्य वर्ग के उम्मीदवार भी इस बार अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकेंगे. इसलिए वहां घमासान देखने को मिलेगा. नौतनवा में पहली बार ऋषि त्रिपाठी विधायक चुने गए हैं. पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी व पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह व पूर्व विधायक कुंवर कौशल किशोर सिंह उर्फ मुन्ना सिंह का भी सोनौली में अच्छा-खासा प्रभाव है. देखना यह दिलचस्प होगा कि सोनौली नगर पंचायत का अध्यक्ष पद किस सियासी धुरंधरों के खेमें में जाता है. 

दो नगर निकायों में पिछड़ा वर्ग का होगा नुमाइंदा 
नगर निकायों में आरक्षण घोषित होने के बाद नगर पंचायत आनंदनगर व नगर पंचायत चौक में अध्यक्ष पद का नुमाइंदा इस बार पिछड़ा वर्ग के हाथ में होगा. इसमें से चौक पहली बार नगर पंचायत बना है. आनंदनगर जिले के पुराने नगर पंचायतों में शामिल है, लेकिन वहां नगर निकाय का चुनाव अन्य नगर क्षेत्रों की तुलना में हर बार सुर्खियों में रहता है. वहां का जनादेश सियासी विश्लेषणों को चौंकाता रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी फरेंदा क्षेत्र की विधायकी गैर भाजपाई दल के हाथ में चली गई थी. कांग्रेस के प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी चुनाव जीते थे. 

Trending news