UP Politics: सीएम योगी की बैठक में नहीं पहुंचे ओम प्रकाश राजभर, केशव प्रसाद मौर्य संग क्या खिचड़ी पका रहे?
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UP Politics: सीएम योगी की बैठक में नहीं पहुंचे ओम प्रकाश राजभर, केशव प्रसाद मौर्य संग क्या खिचड़ी पका रहे?

UP Politics: यूपी बीजेपी में लोकसभा चुनावों में हार की समीक्षा कम ब्लेम गेम ज्यादा हुआ है. मतलब साफ है कि देश के सबसे बड़े सूबे में बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार भी गर्म है. इस बीच सीएम योगी की बैठक से ओम प्रकाश राजभर नदारद रहे, लेकिन केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात कर एक नई सियासी चर्चा को जन्म दें दिया है.

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UP Politics: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी का परफॉर्मेंस कुछ ठीक नहीं रहा. जिसके चलते पार्टी इसकी समीक्षा करने में जुटी है, लेकिन ये समीक्षा कम ब्लेम गेम ज्यादा दिख रहा है. मतलब साफ है कि यूपी बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. सियासी गलियारों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है. इस बीच सुभासपा अध्यक्ष और पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने एक नई सियासी चर्चा को जन्म दे दिया है. दरअसल, सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को एक बैठक बुलाई थी. जिसमें ओपी राजभर को भी बुलाया गया था, लेकिन ओम प्रकाश राजभर नदारद रहे. सीएम योगी की बैठक में तो सुभासपा प्रमुख नहीं गए, लेकिन लखनऊ में केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात करने पहुंच गए. एक हफ्ते में दूसरी बार ओपी राजभर ने केशव प्रसाद मौर्य से उनके कैंप कार्यालय में इस तरह से मुलाकात की. जिसके बाद तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है.

संगठन के नेताओं की बैठक
यूपी में बीजेपी उपचुनावों के लिए कमर कस रही है. लखनऊ में बीजेपी दफ्तर में बड़ी बैठक की गई. इस मीटिंग में दोनों डिप्टी सीएम, प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री शामिल हुए. करीब 1 घंटे तक बीजेपी की ये बैठक चली. जिसमें उपचुनाव पर चर्चा हुई. संगठन के दिग्गजों ने ये मंथन किया कि इन 10 सीटों पर पिछड़ों को कैसे साथ लाना है? इसके अलावा बैठक में सदस्यता अभियान पर भी चर्चा हुई. ये भी तय हुआ कि उपचुनाव वाली सीटों पर बूथ पर फोकस करना है.

बैठक से राजभर नदारद
उधर, सीएम योगी और केशव प्रसाद मौर्य के बीच खींचतान बढ़ती नजर आ रही है. अब गुटबाजी के संकेत भी मिलने लगे हैं. सोमवार को सीएम ने आजमगढ़ में एक बैठक की. इसमें पंचायती राजमंत्री ओम प्रकाश राजभर को भी बुलाया गया, लेकिन वह नहीं पहुंचे. सीएम योगी की इस बैठक से सुभासपा प्रमुख व कैबिनेट मंत्री राजभर गायब रहे, लेकिन केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात करने पहुंच गए. लखनऊ में डिप्टी सीएम मौर्य के साथ ये मुलाकात करीब 1 घंटे तक चली. इसके बाद दोनों ने हंसते हुए फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया.

क्यों हो रही है इतनी चर्चा?
केशव प्रसाद और राजभर की तस्वीरें सामने आने के बाद तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं. यह चर्चा इसलिए ज्यादा होने लगी है क्योंकि ओपी राजभर को वाराणसी में जिस समय सीएम योगी के साथ बैठक में शामिल होना था, उसी समय वह लखनऊ में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ उनके कैंप कार्यालय में मुलाकात कर रहे थे. सीएम योगी सोमवार की शाम वाराणसी पहुंचे थे. यहां वाराणसी मंडल में आने वाली विधानसभा सीटों से चुने गए एनडीए विधायकों के साथ उनकी बैठक थी. ओपी राजभर भी वाराणसी मंडल की गाजीपुर की जहूराबाद सीट से विधायक हैं. योगी की बैठक में ओपी राजभर के अलावा सभी जनप्रतिनिधि पहुंचे थे.  

राजभर के बेटे ने दी सफाई
सीएम योगी की बैठक में ओपी राजभर के न पहुंचने पर उनके बेटे अरविंद राजभर ने सफाई दी. अरविंद ने बताया कि लखनऊ में आयोजित बैठक की वजह से वो नहीं पहुंच पाए. अरविंद राजभर ने कहा कि सोमवार को कैबिनेट मंत्री ने जिला पंचायत अध्यक्षों की बैठक बुलाई थी. लिहाजा वो सीएम की बैठक में शामिल नहीं हो सके. वाराणसी मंडल की विकास को लेकर समीक्षा बैठक से पहले सीएम ने आजमगढ़ मंडल के विधायकों के साथ बैठक की थी.

राजभर से पहले निषाद से भी मिले
शक्ति प्रदर्शन करने में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य एक कदम और आगे बढ़ गए हैं. मौर्य लगातार आम लोगों और प्रदेश भर के नेताओं से मुलाकात कर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसमें अब सहयोगी दलों को भी शामिल कर लिया गया है. राजभर से मुलाकात से कुछ दिन पहले केशव प्रसाद मौर्य ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद से भी मुलाकात की थी. जिसके बाद संजय निषाद ने सरकार और संगठन पर दिए गए उनके बयान का समर्थन भी किया था.  

क्या सीएम योगी को खुली चुनौती?
बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह से भी केशव प्रसाद मौर्य ने मुलाकात की. इस दौरान प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक भी मौजूद रहे. इन नेताओं के बीच लगभग दो घंटे तक मीटिंग चलती रही. जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्य संगठन और सहयोगी दलों के नेताओं से मिलकर अपनी ताकत का एहसास करा रहे हैं. इसे सीएम योगी के सामने खुली चुनौती के तौर पर स्वीकारा जा रहा है. माना जा रहा है कि कुछ समय में इन सारी मुलाकातों और केशव प्रसाद मौर्य के शक्ति प्रदर्शन का परिणाम भी दिखाई दे सकता है.

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