Green Energy Plant: दिसंबर में प्लांट अपना उत्पादन शुरू करेगा. प्लांट से प्रतिदिन तीन टन सीएनजी का उत्पादन हो सकेगा. 80 से 100 लोगों को नौकरी मिल सकेगी.
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लखनऊ: पराली जलाने और उससे वातावरण में फैलने वाले प्रदूषण से उत्तर प्रदेश के लोगों को जल्दी ही निजात मिल सकता है क्योंकि इस समस्या के लिए एक स्थाई निदान पर काम किया जा रहा है. पराली जलाने से वैसे तो काफी प्रदूषण होता है लेकिन अब यही पराली कमाई का जरिया भी बनने वाली है. पराली के जलाने से कंप्रेस्ड गैस (सीएनजी) का उत्पादन किया जाएगा जिससे आय का रास्ता तो खुलेगा ही, बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मुहैया कराए जा सकेंगे. शुद्ध जैविक खाद यानी ग्रीन एनर्जी का उत्पादन किया जा सकेगा. प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में जैव ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिए जैव ऊर्जा नीति 2022 जारी किया था. ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में इस बाबत कई बड़े निवेशकों ने प्रदेश सरकार के साथ एमओयू साइन किया था और अब उसी का असर धरातल दिखने लगा है.
बुलंदशहर का बुलंद बायोगैस
शुरू होने वाले प्लांट में बुलंदशहर का बुलंद बायोगैस भी शामिल है जिसने प्रदेश सरकार के साथ एमओयू साइन किया था जो कि 18.75 करोड़ रुपये का था. हालांकि, अब इसकी लागत बढ़कर 21 करोड़ हो चुकी है. प्लांट अपना उत्पादन दिसंबर में शुरू करेगा जहां से पर डे तीन टन सीएनजी का उत्पादन हो सकेगा. दूसरी ओर 80 से 100 लोगों को नौकरी मिल पाएगी. जानकारी है कि बुलंद बायोगैस में केवल पराली ही नहीं है बल्कि पुआल,गोबर, भूसा, गन्ने की मैली के अलावा नगर निगमों का कबाड़ भी होगा जिससे कंप्रेस्ड बायोगैस बनाया जाएगा. इंडियन ऑयल से इस प्लांट के लिए लाइसेंस ले लिया गया है.
लिक्विड जैविक खाद
बताया जाता है कि काफी मात्रा में जैविक खाद का उत्पादन किया जाएगा. कंप्रेस्ड गैस के उत्पादन में निकला वेस्ट 100 प्रतिशत जैविक रहने वाला है जो कि सॉलिड और लिक्विड दोनों ही फॉम में होगा. तीन साल तक लिक्विड जैविक खाद किसानों को फ्री में ही उपलब्ध कराई जाएगी. इन किसानों की पहचान डीएम या सीडीओ द्वारा की जाएगी. जो फर्टिलाइजर, डीएपी, यूरिया खरीद नहीं पाते हैं वैसे किसानों को लाभ हो पाएगा.
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