UP News: स्कूल-कॉलेज या फैक्ट्री में घटना होने पर सीधे मालिक या मैनेजमेंट पर नहीं होगी FIR, यूपी पुलिस की नई गाइडलाइन
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UP News: स्कूल-कॉलेज या फैक्ट्री में घटना होने पर सीधे मालिक या मैनेजमेंट पर नहीं होगी FIR, यूपी पुलिस की नई गाइडलाइन

UP DGP Prashant Kumar: बिना जांच कारोबारियों के खिलाफ के दर्ज होने वाले FIR को लेकर DGP प्रशांत कुमार ने दिशानिर्देश दिए हैं. सबूत मिलने पर ही संस्थान के संचालकों को बनाए आरोपी-डीजीपी

UP DGP Prashant Kumar

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर यूपी डीजीपी द्वारा आधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. दरअसल, पुलिस अधिकारियों को प्रतिष्ठनों में होने वाली किसी तरह की घटना व उससे जुड़े लोगों के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर ये दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जिसके अनुसार, अब किसी भी संस्थान में अगर कोई घटना होती है तो इस पर सीधे मालिक या मैनेजमेंट के पदाधिकारी पर एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी. 

सबूत मिलने पर ही आरोपी बनाएं
न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए निर्दोष व्यक्तियों पर, मुख्य रूप से उद्यमियों के विरुद्ध अब सीधे  एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी. इस संबंध में यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा है कि ऐसा करना उत्तर प्रदेश की ease of doing business नीति के विपरीत है. डीजीपी ने निर्देश दिया है कि कारोबारियों के खिलाफ बिना जांच के FIR दर्ज न करें. उन्होंने कहा कि संस्थान के संचालकों को सबूत मिलने पर ही आरोपी बनाएं. 

बाव में एफआईआर
स्कूलों में भी होने वाली घटनाओं पर सीधे स्कूल के मैनेजर या मालिक पर भी एफआईआर नहीं दर्ज होगी. डीजीपी ने इसे लेकर माना है कि जब किसी संस्थान में किसी तरह की घटना होती है तो आरोपी से लेकर संस्थान के उच्च अधिकारियों पर भी दबाव में एफआईआर कर दी जाती है.  

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कुछ बातों को सुनिश्चित किया जाएगा
उद्यमियों एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों यथा भवन निर्माताओं के साथ ही फैक्ट्री संचालकों, होटल संचालकों और अस्पताल एवं नर्सिंग होम संचालकों व स्कूल / शैक्षिक संस्थाओं के संचालकों के खिलाफ प्राप्त प्रार्थना पत्रों पर प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत करने से पहले जांच कर इन कुछ बातों को सुनिश्चित किया जाएगा कप्रस्तुत प्रार्थना पत्र- 
A- व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता / व्यवसायिक विवाद अथवा सिविल विवादों को आपराधिक रूप देते हुए तो नहीं प्रस्तुत किया गया.
B- जांच के दौरान जांच अधिकारी द्वारा वादी तथा प्रतिवादी यानी उभयपक्षों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा. प्रकरण से जुड़े दोनों पक्षों द्वारा प्राप्त  अभिलेखों को भी जांच आख्या के साथ संलग्न किया जाएगा.

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