Mahakumbh 2025: महाकुंभ के लिए साधु-संतों, अखाड़ों के शिविर लगे हैं. संगम की रेत में मंदिर और महल के नजारे देखने को मिल रहे हैं. किसी ने मनभावन मंदिर और दुर्ग बनाया है तो किसी ने हवा महल ही खड़ा किया है. ऐसे में आइए जानते हैं महाकुंभ में अवधेशानंद का शिविर लगा है.
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Mahakumbh 2025: अद्भुत...अलौकिक...अद्वितीय महाकुंभ का आगाज हो चुका है. संगम की रेती का रुख करते ही चारों ओर महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता का एहसास आपको होने लगेगा. सेक्टर एक परेड मैदान से आगे बढ़ने पर बांध मिलेगा, जिसे पार करने के बाद जगदगुरु, पीठाधीश्वर, आचार्य, महामंडलेश्वर, संत और नागाओं की दुनिया बसी है. रात में दूधिया रोशनी से नहाया मेला क्षेत्र ऐसा रहा है, जैसे मानों आकाशगंगा के तारे एकसाथ धरती पर उतर आए हैं. संतों के भव्य शिविर स्वप्नलोक में पहुंचने का एहसास करा रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको अवधेशानंद के शिविर की भव्यता के बारे में बताएंगे.
स्वामी अवधेशानंद गिरि का शिविर
मेला क्षेत्र में घूमते वक्त जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के शिविर पर आपकी निगाह ठहर जाएगी. 25 सेक्टर में बसे मेला में इनका शिविर सेक्टर 18 में अन्नपूर्णा मार्ग पर है. उनका शिविर भगवा रंग से सजा हुआ है. सामने लगी आदि शंकराचार्य की मूर्ति शुद्ध तांबे से बनी हुई है. प्रवेश करते ही बांसुरी की मद्धम मधुर धुन आध्यात्म की दुनिया में पहुंचा देती है. प्रभु प्रेमी संघ के इस शिविर में अस्पताल, कैंटीन, प्रवचन हॉल समेत अन्य हाईटेक सुविधाएं उपलब्ध हैं.
कैसा है अवधेशानंद का शिविर?
प्रभु प्रेमी सेवा संघ का शिविर अपने आप में एक किले के अंदर बसे नगर का लुक दे रहा है. शिविर के प्रशासनिक अधिकारी बताते हैं कि 56 बीघे में यह शिविर बन रहा है. इसके निर्माण में करीब दो करोड़ से अधिक खर्च हुआ है. पूरा शिविर तीन प्रमुख हिस्सों में विभाजित है. सबसे पहले इस शिविर के बीच में एक गुम्बद तैयार किया गया है. जिसमें आचार्य महामंडलेश्वर जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरी जी प्रवास कर रहे हैं. उसके दाहिने हाथ में प्रवचन पंडाल का निर्माण किया गया है. जिसकी क्षमता 2 लाख से ज्यादा की है.
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