ISRO Aditya-L1 Mission : आदित्‍य एल 1 ही क्‍यों पड़ा पहले सूर्य मिशन का नाम?, वैज्ञानिकों ने बताई दिलचस्प कहानी
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ISRO Aditya-L1 Mission : आदित्‍य एल 1 ही क्‍यों पड़ा पहले सूर्य मिशन का नाम?, वैज्ञानिकों ने बताई दिलचस्प कहानी

ISRO Aditya-L1 Mission : पृथ्वी से सूर्य के बीच की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है. इस बीच 5 लेंगरेंज प्‍वाइंट पड़ते हैं. इन्हें  L1, L2, L3, L4 और  L5 नाम से भी जानते है. ऐसे में पहले सूर्य मिशन को आदित्‍य एल 1 नाम ही क्‍यों दिया गया. 

ISRO Aditya L1 Mission History

ISRO Aditya-L1 Mission : सूर्य के पर्यायवाची तो अरुण, सूरज, भानु, लौकार्क, रवि समेत दर्जनों हैं, लेकिन भारत के सोलर मिशन का नाम आदित्य पर ही क्यों रखा गया. यह भी कम दिलचस्प कहानी नहीं है. तो आइये जानते हैं वैज्ञानिकों ने क्‍या बताई इसके पीछे की वजह.   

इसलिए पड़ा नाम 
मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों की मानें तो पृथ्वी से सूर्य के बीच की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है. इस बीच 5 लेंगरेंज प्‍वाइंट पड़ते हैं. इन्हें  L1, L2, L3, L4 और  L5 नाम से भी जानते है. L1, L2, L3 अपनी स्थिति बदलते रहते हैं, लेकिन L4 और  L5 अपनी उसी स्थिति में बने रहते हैं. सूर्य तक जाने के लिए पहले पड़ाव का नाम L1 है,  जो कि पृथ्वी से  15 लाख किलोमीटर दूर है. सूर्य को आदित्‍य नाम से भी जाना जाता है. इसलिए इस पूरे मिशन को आदित्य L-1 का नाम दिया गया है. 

इस वैज्ञानिक ने खोजा था लेंगरेंज प्‍वाइंट 
वहीं, मिशन में अहम रोल निभाने वाले गोरखपुर के प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि आदित्य यानि सूर्य. एल, लेंगरेंज नाम के उस वैज्ञानिक के नाम पर है, जिन्होंने इस जगह की खोज की थी. अंतरिक्ष में सूर्य और धरती के बीच समान गुरुत्वाकर्षण वाली ऐसी पांच जगहों की अब तक खोज हो पाई है. इनमें पहले प्वाइंट पर इसरो का अंतरिक्ष यान भेजा जाएगा. इस तरह मिशन का पूरा नाम आदित्य एल-1 पड़ा. मिशन सफल होने के बाद भारत दुनिया का ऐसा तीसरा देश बनेगा, जिसने अपने अंतरिक्ष यान को सूर्य व धरती के बीच स्थापित किया है. 

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