कौन थे आधुनिक युग के 'तुलसीदास' पंडित रामकिंकर महाराज, जन्मशताब्दी समारोह में पहुंचे मोहन भागवत
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कौन थे आधुनिक युग के 'तुलसीदास' पंडित रामकिंकर महाराज, जन्मशताब्दी समारोह में पहुंचे मोहन भागवत

Chitrakoot News: स्वामी रामकिंकर उपाध्याय के जन्मशताब्दी समारोह चित्रकूट में धूमधाम से मनाया गया. इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हुए. लेकिन आज की पीढ़ी में बहुत कम ही लोगों को रामकिंकर जी महाराज के बारे में जानकारी होगी. 

Ram Kinkar ji Maharaj

Pandit Ramkinkar Maharaj  birth centenary celebrations: संघ प्रमुख मोहन भागवत बुधवार को चित्रकूट में स्वामी राम किंकर महाराज की जन्म शताब्दी कार्यक्रम में शामिल हुए. संघ प्रमुख मोहन भागवत चित्रकूट मे दीनदयाल शोध संस्थान के डॉक्टर लोहिया सभागार में संघ प्रमुख ने संतो और महाकौशल प्रांत के संचालको को संबोधित किया. लेकिन आज की पीढ़ी में कम ही लोगों को मालूम होगा कि पंडित रामकिंकर महाराज कौन थे. उन्होंने क्यों आधुनिक युग का तुलसीदास कहा जाता है.

काशी बनी कर्मभूमि
रामकिंकर महाराज का जन्म 1 नवंबर 1924 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुआ, लेकिन उनके पूर्वज मिर्जापुर के बरैनी गांव के रहने वाले थे. उनकी मां धनेसरा देवी थीं. पिता शिवनायक उपाध्याय रामायण के प्रसिद्ध व्याख्याकार और हनुमान जी के परम भक्त थे. कहा जाता है कि इसी भक्तिभाव की वजह से हनुमान जयंती के 7वें दिन उन्हें एक विलक्षण प्रतिभा वाली संतान मिली. उनका रामकिंकर यानी राम का सेवक पड़ा.जबलपुर में शुरुआती शिक्षा के बाद वो काशी आ गए और पढ़ाई के साथ भक्तिभाव में डूब गए. ध्यानमग्न, एकाग्रता और प्रतिभा बचपन में ही देखने को मिली. 

हनुमान जी का स्वप्न दर्शन
18 साल की उम्र में ही जब रामकिंकर ध्यान और चिंतन में मग्न थे तो उन्हें हनुमान महाराज का स्वप्न दर्शन हुआ. उसी के बाद उन्होंने रामकथा और हनुमानकथा का पाठ शुरू कर दिया. 21 साल की उम्र में रामकिंकर जी महाराज ने गोस्वामी तुलसीदास के ग्रंथों की सरल भाषा में व्याख्या की. उन्होने 19 साल की उम्र से लेखन प्रारंभ किया और 92 पुस्तकों की रचना की. इनमें अधिकांश रामचरितमानस और रामकथा से जुड़ी हैं. उन्हें 1999 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.

अयोध्या में ली समाधि
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि वृंदावन में ब्रह्मलीन स्वामी श्री अखण्डानन्दजी महाराज के निर्देश पर वो वहां भी पहुंचे और करीब एक साल वही रहे. अवधूत श्रीउड़िया बाबाजी महाराज, भक्त शिरोमणि श्री हरिबाबाजी महाराज, स्वामी अखंडानंदजी महाराज भी उनकी कथा सुनकर आश्चर्यचकित हुए. उन्होंने अवधूत श्रीउड़िया बाबा से संन्यास दीक्षा ली. रामकिंकर महाराज ने रामायणम आश्रम अयोध्या में 9 अगस्त 2002 को समाधि ली.

द्वार पर डंडा लेकर खड़ा संघ
भागवत ने संतो को संबोधित करते हुए कहा कि संतो के कार्य में कोई बाधा ना आए इसलिए द्वार पर डंडा लेकर बैठने का काम हमारा संघ कर रहा है. भारत को दबाने का प्रयास दुनिया भर के लोग कर रहे हैं किंतु सत्य दबता नहीं है, समय आने पर सर चढ़कर बोलता है. मोहन भागवत ने कहा कि शास्त्र चाहिए तो उसको धारण करने वाला राम भी चाहिए. कहां अच्छे भोजन के बाद करवा चरण भी चाहिए जो संतों के वचन के रूप में जीवन को सुधार सकता है. उन्होंने संघ की मजबूती पर भी जोर दिया. प्रांत स्तरीय इस कार्यकर्ता वर्ग में महाकौशल प्रांत के 34 जिलों 10 विभागों के अलावा जिला मेहनगर एवं नगर स्टार के संघ पदाधिकारी भी शामिल हुए.

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