Shahjahanpur News : अमेठी में आरिफ और सारस की दोस्ती के बाद अब शाहजहांपुर में एक कबूतर की दोस्ती चर्चा में है. यहां एक कबूतर अपने इंसानी दोस्त के साथ रहता, खाता और बाइक के साथ-साथ उड़ान भी करता है.
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Shahjahanpur News : अमेठी के आरिफ और सारस की कहानी तो आपने सुन ली होगी. अब ठीक उसी तरह शाहजहांपुर में इंसान और कबूतर की दोस्ती इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. यहां एक कबूतर अपने इंसानी दोस्त के साथ रहता, खाता और बाइक के साथ-साथ उड़ान भी करता है. यहां तक की कबूतर अपने दोस्त की मोटरसाइकिल की आवाज कोसों दूर से पहचान लेता है. युवक और कबूतर की ये दोस्ती अपने आप में एक अनोखी दोस्ती की मिसाल बन गई है.
शाहजहांपुर की अनोखी दोस्ती
दरअसल, शाहजहांपुर में हदफ चौकी के रहने वाले रचित अपने कबूतर दोस्त को मगलू नाम से पुकारते हैं. रचित का कहना है कि कबूतर के मां-बाप मरने के बाद उसके बच्चे को पाल पोस कर बड़ा किया. बचपन से ही पालने के चलते वह रचित के पास सोते जागते रहने लगा. अब वह मोटरसाइकिल के साथ उड़कर साथ-साथ चलता है, बल्कि रचित को पहचान भी लेता है. रचित और कबूतर की कहानी सुनकर आसपास के गांव के लोग देखने आ रहा हैं.
साथ खाते-पीते हैं
रचित ने कबूतर को बचपन से पाला पोसा और उसे उठाकर उसको जीवन दिया. बड़े होने पर कबूतर अपनी जमात छोड़कर रचित के साथ ही रहने लगा. रचित का कहना है कि कबूतर जब एक हफ्ते का था तो कबूतर के बच्चे के मां-बाप को बाज खा गया था. ऐसे में रचित ने उसे हाथों से दाना पानी खिलाकर बड़ा किया. धीरे-धीरे वह बड़ा होने पर उसके साथ खाना खाने के लगा यहां तक की अपने हाथों से दी हुई चना, रोटी, आलू , चावल और तहरी तक खा लेता है.
कबूतर से की दोस्ती तो बढ़ने लगा नाम
रचित कबूतर को मगलू नाम से बुलाता है. अब मगलू इतना बेचैन रहता है कि अगर रचित ना दिखे तो वह चिल्लाने लगता है. 24 घंटे वह रचित के साथ रहता है. यहां तक की रचित जब मोटरसाइकिल पर सवार होकर कहीं जाता निकलता है तो बाइक से साथ-साथ उड़कर उसके पास आ जाता है. रचित इस कबूतर की वजह से चर्चा में आ गए हैं. कबूतर और रचित की दोस्ती की वजह से उन्हें हर कोई जानने लगा है.
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