Ayodhya 14 Kosi Parikrama: 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में पहली बार हो रही 14 कोसी परिक्रमा पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. जहां नंगे पांवों में लोग परिक्रमा में हजारों मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं. पढ़िए पूरी खबर ...
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Ayodhya News: 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में पहली बार हो रही 14 कोसी परिक्रमा पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. इस बीच भक्तों के द्वारा लगातार रामनाम के जयकारे और गूंज सुनने को मिल रही है. शनिवार से शुरू हुई परिक्रमा में भक्त नंगे पांव आगे बढ़ते हुए राम मंदिर के साथ 5 हजार मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं. आपको बता दें कि यह परिक्रमा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी तिथि पर शाम 6 बजकर 32 मिनट से शुरू हुई थी. विदित हो कि यह परिक्रमा रविवार साम 4 बजकर 44 मिनट तक चलेगी.
परिक्रमा की पौराणिक मान्यता
अयोध्या में चल रही इस 14 कोसी परिक्रमा की एक पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक मास की अक्षय नवमी पर रामनगरी की परिक्रमा करने से सबके सारे पाप धुल जाते हैं. इसी मान्यता को मानते हुए पूरे देश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस 14 कोसी परिक्रमा में सामिल होने के लिए आ रहे हैं. प्रशासन की तरफ से परिक्रमा को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
ज्यादा श्रद्धालु आते हैं
आपको बता दें कि कार्तिक मास के पूरे समय अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी रहती है. इसी समय के दौरान कल्पवासी अयोध्या में रहते हुए कल्पास में रहते हैं. वहीं अक्षय नवमी के पुण्यतिथि पर भगवान राम की नगरी की सांस्कृतिक सीमा में भक्तों के द्वारा 14 कोसी परिक्रमा की जाती है.
देव उठान की परिक्रमा
14 कोसी परिक्रमा के बाद देव उठान एकादशी पर रामलला के मंदिर की परिक्रमा की जाती है. यह पूरी परिक्रमा 5 कोस की होती है. इसी परिक्रमा के पूर्णिमा को कार्तिक मेला समाप्त होता है. हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुल 14 लोक होते हैं. सभी 14 लोकों में से सबसे अहम मानव लोक होता है. इसी के लिए मानव लोक की 14 कोस की परिक्रमा को पूरा करने से हमें जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है.
मथुरा में भी अक्षय नवमी पर लगी परिक्रमा
आपको बता दें कि अक्षय नवमी पर अयोध्या के साथ-साथ मथुरा में भी पंचकोशीय परिक्रमा लगाई गई है. शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी पर्व पर मथुरा की पंचकोशीय परिक्रमा लगाये जाने का कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है. जिसे लेकर हर वर्ष की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में महिला पुरुष बच्चों और बुजुर्गों के द्वारा मथुरा की परिक्रमा लगाकर पुण्य लाभ अर्जित किया गया. वहीं इतनी बड़ी संख्या में उमड़े परिक्रमार्थियों को देखते हुए पुलिस प्रशासनिक स्तर पर भी व्यापक व्यवस्थाएं की गई थी जगह-जगह बैरीकेडिंग लगाकर परिक्रमार्थियों के आवागमन को सुचारु किये जाने की व्यवस्थाएं की गई थी. तो वहीं जगह-जगह परिक्रमार्थियों की सेवा के लिए धर्म प्रेमी जनता के द्वारा प्याऊ पूरी सब्जी आदि के भंडारे भी लगाए गए थे. इस दौरान जब परिक्रमार्थियों से जानकारी की तो उन्होंने परिक्रमा के महत्व से अवगत कराया.
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